
उत्तराखंड में मानसून का कहर लगातार जारी है। चमोली जिले की उर्गम घाटी में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की एक गंभीर घटना सामने आई है। रांता तोक नामक गांव में बुधवार सुबह हुए भूस्खलन से दो आवासीय मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। सौभाग्यवश, समय रहते घर में मौजूद परिवार के सभी सदस्य बाहर निकल गए और एक बड़ा हादसा टल गया।
भूस्खलन की चपेट में आए मकान
स्थानीय निवासी रघुवीर सिंह नेगी के अनुसार, क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश और अधूरी सड़क निर्माण की लापरवाही ने मिलकर इस आपदा को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रही बासा सड़क निर्माणाधीन अवस्था में है और उसी के ऊपर से भारी मात्रा में मलबा और पत्थर नीचे आवासीय क्षेत्रों में गिरा, जिससे दो परिवारों के मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
भूस्खलन रात के बादलों के गरजने और मूसलाधार बारिश के बीच हुआ। मकान की दीवारों और छतों पर मलबा गिरने की आवाज सुनकर घरों में सो रहे परिवार तुरंत बाहर भागे। इस तत्परता के चलते किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई, लेकिन उनका पूरा जीवन यापन छिन्न-भिन्न हो गया।
पूरे राज्य में बारिश का कहर
मौसम विभाग ने पहले ही उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों—देहरादून, नैनीताल, पिथौरागढ़ और बागेश्वर—में येलो अलर्ट जारी किया था। राज्य के अन्य हिस्सों में भी तेज गर्जना, बिजली चमकने और भारी बारिश के आसार जताए गए थे। चार अगस्त तक प्रदेश में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है, जिससे अगले कुछ दिन भी संकटपूर्ण रह सकते हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेशभर में बारिश के चलते 65 से अधिक सड़कों पर यातायात बंद हो गया है। इनमें पिथौरागढ़ जिले का प्रमुख तवाघाट-घटियाबगड़-लिपुलेख राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल है, जो कि किलोमीटर 6 पर बड़े पत्थरों और मलबे की चपेट में आ गया है। इसके अलावा—
- पिथौरागढ़ में 13 ग्रामीण सड़कें
- रुद्रप्रयाग में 8
- उत्तरकाशी में 11
- नैनीताल में 3
- चमोली में 7
- अल्मोड़ा में 4
- बागेश्वर में 6
- पौड़ी गढ़वाल में 3
- टिहरी में 5
- देहरादून में 4 ग्रामीण सड़कें बंद हैं।
प्रशासन की अपील और तैयारी
प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि वे पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा फिलहाल स्थगित करें और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय प्रशासन या आपदा राहत दल से संपर्क करें। लोक निर्माण विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियों द्वारा मलबा हटाने और सड़कें खोलने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।
लापरवाही बनी आपदा की वजह
स्थानीय लोगों ने अधूरी सड़क परियोजनाओं और अनियोजित निर्माण कार्यों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बिना सुरक्षा दीवार और उचित निकासी के ऐसे निर्माण कार्य पहाड़ों में खतरे का कारण बनते जा रहे हैं। उर्गम घाटी की यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती है, बल्कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील भौगोलिक क्षेत्र में मौसम पूर्वानुमानों को गंभीरता से न लेने की हमारी आदतों को भी उजागर करती है। अब समय आ गया है कि ऐसे इलाकों में मौसम, भू-गर्भ और निर्माण से जुड़ी चेतावनियों पर सजग होकर काम किया जाए।