
हल्द्वानी | हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में हाल ही में हुई भगदड़ की घटना ने उत्तराखंड सरकार को धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण व्यवस्था पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया कि अब प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं को प्रवेश केवल वहां की धारण क्षमता के अनुसार ही दिया जाएगा।
■ श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सख्त कदम
मुख्यमंत्री ने हरिद्वार की घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए कहा कि अब भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की अधिकतम संख्या तय करें और उसी के अनुरूप व्यवस्था सुनिश्चित करें। धार्मिक स्थलों पर भीड़ के अनुसार सुरक्षा मानकों, पार्किंग, ट्रैफिक व्यवस्था और चिकित्सा सेवाओं की तैयारी पहले से सुनिश्चित की जाए। राज्य सरकार इन स्थलों के संभावित विस्तार, आधुनिक उपकरणों की तैनाती और आपदा प्रबंधन व्यवस्था को प्राथमिकता देने जा रही है।
■ इन प्रमुख स्थलों पर होगी विशेष सख्ती
मुख्यमंत्री ने कुमाऊं मंडल के छह बड़े धार्मिक स्थलों का जिक्र करते हुए कहा कि इन स्थानों पर श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना अधिक हो चुकी है जबकि व्यवस्था बेहद सीमित है। इनमें शामिल हैं:
1. कैंची धाम (नैनीताल)
बाबा नीब करौरी महाराज के आश्रम में रोजाना औसतन 10-12 हजार लोग पहुंचते हैं, जबकि शनिवार-मंगलवार को यह संख्या 15-18 हजार तक पहुंच जाती है। स्थापना दिवस पर तो यह संख्या डेढ़ लाख को पार कर जाती है।
2. जागेश्वर धाम (अल्मोड़ा)
हिमालय का काशी कहे जाने वाले इस मंदिर समूह में विशेषकर श्रावण मास और शिवरात्रि में भारी भीड़ उमड़ती है। देश-विदेश से श्रद्धालु और कई नामी हस्तियां भी यहां आती हैं।
3. चितई गोलू मंदिर (अल्मोड़ा)
घंटियों वाले इस प्रसिद्ध मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन 4-5 हजार रहती है, जो विशेष अवसरों पर 10 हजार पार कर जाती है।
4. हाट कालिका मंदिर (गंगोलीहाट)
सैनिकों और पूर्व सैनिकों की आस्था का केंद्र यह मंदिर भी भीड़भाड़ वाले स्थलों में शामिल है। नवरात्र और अन्य पर्वों पर यहां दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती है।
5. पूर्णागिरी धाम (टनकपुर)
यह शक्तिपीठ चैत्र नवरात्र में लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यहां सुविधाएं सीमित हैं, जबकि दर्शनार्थियों की संख्या भारी रहती है।
6. गर्जिया मंदिर (रामनगर)
कोसी नदी के टीले पर स्थित यह मंदिर भी कार्तिक पूर्णिमा, नवरात्र आदि पर अत्यधिक भीड़ देखता है। सीएम ने स्पष्ट किया कि इन सभी स्थलों पर क्षमता निर्धारण, ऑनलाइन प्रवेश व्यवस्था, सुरक्षा बलों की तैनाती, इमरजेंसी मेडिकल सुविधा और स्मार्ट निगरानी प्रणाली को अनिवार्य किया जाएगा।
■ अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर सख्ती
धार्मिक स्थलों की व्यवस्था को सुधारने के साथ-साथ मुख्यमंत्री धामी ने अतिक्रमण पर भी कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अतिक्रमणकारियों को विधिक नोटिस देकर स्वयं अतिक्रमण हटाने का अवसर दें। यदि वे नहीं हटते तो प्रशासन बलपूर्वक अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाएगा। सीएम ने बताया कि अब तक प्रदेश में 7000 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया जा चुका है।
■ विकास सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य केवल धार्मिक स्थलों का संरक्षण ही नहीं, बल्कि संतुलित और समावेशी विकास को गति देना भी है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ने वर्ष 2023-24 के सतत विकास लक्ष्य सूचकांक में देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और राज्य की योजनाबद्ध कार्यप्रणाली का परिणाम है। सरकार राज्य में पारदर्शी शासन, सुरक्षित तीर्थाटन और समावेशी विकास को सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।