ऋषिकेश। डीएम सविन बंसल ने राजकीय उपजिला चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान सीएमएस व पांच अन्य वरिष्ठ चिकित्सक अपनी सीट से नदारद मिले। जिस पर डीएम ने इन सभी का वेतन रोकने और प्रतिकूल प्रविष्टि जारी करने के आदेश दिए। अस्पताल परिसर व शौचालयों में गंदगी पर डीएम ने कड़ी नाराजगी जताई। सफाई एजेंसी पर 50 हजार का जुर्माना लगाया गया। वहीं इस पूरे प्रकरण में सीएमओ से रिपोर्ट तैयार करने को कहा।
शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे डीएम सविन बंसल एक टैक्सी कार से राजकीय उपजिला चिकित्सालय पहुंचे। डीएम टैक्सी कार को स्वयं चलाकर लाए थे। यहां सबसे पहले वह पंजीकरण की लाइन में लगकर ओपीडी की पर्ची बनवाई और पंजीकरण व्यवस्था देखी। उसके बाद सीएमएस कक्ष में गए लेकिन यहां सीएमएस डाॅ. पीके चंदोला मौजूद नहीं मिले।डीएम बंसल ने उनके कार्यालय से डाॅक्टरों की उपस्थिति पंजिका अपने कब्जे में ली। निरीक्षण के दौरान चार चिकित्सक भी अपने कक्ष से नदारद मिले।
वहीं टीकाकरण कक्ष में एएनएम और अन्य स्टाफ मौजूद नहीं मिला। डीएम बंसल को निराश्रित वार्ड खाली मिला, जबकि एक बुजुर्ग जमीन पर लेटा था। जिस पर डीएम बंसल ने कड़ी नाराजगी जताई। डीएम बंसल ने उपजिला चिकित्सालय में पांच से छह विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात होने के बावजूद भी अधिकांश वार्ड खाली व ओटी में कोई मरीज न होने पर कड़ी नाराजगी जताई। अस्पताल प्रशासन, चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को करीब आधा घंटे बाद परिसर में डीएम की मौजूदगी का पता चला। लेकिन तब तक डीएम बंसल अपना काम कर चुके थे।
डीएम ने चिकित्सा अधीक्षक के कक्ष, ओपीडी, ओटी से लेकर शौचालयों तक का निरीक्षण कर लिया था। निरीक्षण के दौरान अस्पताल का कोई विभाग या कोना ऐसा नहीं मिला जहां व्यवस्थाएं दुरुस्त हों। डीएम सविन बंसल ने कहा कि राजकीय उपजिला चिकित्सालय की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां सीएमएस व सीनियर डाॅक्टर नदारद हैं। ओटी और वार्ड खाली हैं, आईसीयू पर ताला लगा है। ये सब बातें स्पष्ट करती हैं कि यहां सब कुछ ठीक नहीं है।
आखिर हम मरीजों को क्या सुविधाएं दे रहे हैं। ऋषिकेश को गढ़वाल का मुख्य द्वार माना जाता है। तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों आदि का यहां से आवागमन होता है। लेकिन जो यहां देखने को मिला है बेहद चौकाने वाला है। यहां ढांचागत समस्याएं हैं। यह हमारी कार्यपालिका की कमी है। इसको दुरुस्त करने के लिए बड़ी कार्रवाई करने से भी पीछे नहीं हटा जाएगा। डीएम बंसल ने कहा कि बजट की कमी नहीं है, कार्य के प्रति समर्पण की भावना व गंभीरता की कमी है।