फतेहपुर। करीब तीन दशक से धर्मांतरण में सक्रिय मौलाना डॉ. उमर गौतम ने मूल जिले में मुस्लिम धर्म की ओर लोगों का रुझान बढ़ाने के लिए कई गुर्गे तैयार किए थे। यह लोग गरीब हिंदुओं से दोस्ती करते थे। इसके बाद नौकरी, अच्छी लड़की से शादी समेत कई प्रलोभन देकर धर्मांतरण के लिए हिंदुओं को प्रेरित करते थे। मौलाना उमर गौतम ने 20 साल की उम्र में धर्म परिवर्तन किया था।
धर्मपरिवर्तन के बाद पैतृक जिले में शुरूआत से ही उसका रुझान था। वह पिता और परिवार के डर से नहीं आता था। पिता की मौत के बाद उमर ने गांव और आसपास क्षेत्र के लोगों को प्रभावित किया। शहर का रहने वाला कट्टरवाद को लेकर चर्चित एक शिक्षित मौलाना को अपना शार्गिद बनाया। दूसरा अंदौली स्थित एक मस्जिद में धार्मिक सभाएं कर चार से पांच अपने पक्के गुर्गे तैयार किए। इनमें एक हिंदू परिवार ने मौलाना का अनुसरण कर धर्मपरिवर्तन कर लिया। इस तरह से हसवा, हथगाम, टीसी, थरियांव, उसरैना, सनगांव समेत कई स्थानों पर अपने लोग बनाए थे।
वह सभी उमर गौतम के लिए हैंडलर का काम करते थे। वे ही सभाओं की तैयारी करते थे और हिंदुओं का जमावड़ा लगवाते थे। खाड़ी देशों में इस्लाम कबूलने पर नौकरी और अच्छी लड़की से शादी का झांसा देते थे। दिल्ली में मौलाना उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद धर्मपरिवर्तन के तार प्रयागराज से भी जुड़े थे। प्रयागराज का एक प्रोफेसर खुफिया एजेंसियों के रडार पर आया था। प्रयागराज की एक छात्रा ने भी हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने का फैसला किया था। छात्रा को प्रोफेसर ने उमर के कहने पर ही धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया था। इसके अलावा कानपुर घाटमपुर निवासी एक 25 वर्षीय छात्रा का भी धर्म परिवर्तन कराया गया।
धर्मांतरण के लिए लोगों का माइंड वाश करने के लिए उमर ने हर फंडा अपनाया। मौलाना उमर ने अपने ट्विटर अब एक्स पर अपनी प्रोफाइल पर पूर्व पीएम वीपी सिंह का भतीजा बताया। एटीएस की धरपकड़ के बाद जांच के दौरान झूठ पकड़ में आ गया। फतेहपुर जिले में धर्मांतरण का रैकेट चलाने वाले मास्टर माइंड मो. उमर गौतम ने जनपद के एक दर्जन से अधिक इलाकों में अपना जाल बिछा रखा था। उन्हें अंदौली के एक हिंदू परिवार को इस्लाम धर्म परिवर्तन के बाद फर्श से अर्श तक पहुंचाने का झांसा देता था।
जनपद में उसके घर को देखकर लोग आकर्षित होते थे और मौलाना के जाल में फंस जाते थे। मौलाना ने पिछले दस सालों में 50 से अधिक परिवार का धर्मांतरण कराया। वे लालच में फंसे, लेकिन वे सहूलियतें उन्हें नहीं मिलीं। घर भी छूट गया। श्याम प्रताप सिंह से उमर गौतम बनने के बाद परिवार संग दिल्ली के जामिया नगर बटला हाउस नूह मस्जिद को अपना ठिकाना बनाया। उसने अपनी धार्मिक संस्था इस्लामिक दावा सेंटर (आईडीसी) के जरिए जिले के लोगों को जोड़ने व फंडिंग का काम शुरू किया। यहां सबसे अधिक उमर के अनुयायी अंदौली में हैं।
उसने इसी क्षेत्र से धर्म परिवर्तन का काम भी शुरू किया। सबसे पहले यहां के एक गरीबी हिंदू परिवार को रुपये का लालच देकर इस्लाम कुबूल कराया। उसके टूटे फूटे घर को आलीशान कोठी में बदल दिया। इसकी चर्चा आग तरह फैली थी। मौलाना भी अपनी सभाओं में बेझिझक उसको फर्श से अर्श तक पहुंचाने का जिक्र करता था। गांव समेत अन्य इलाकों के लोग उसके घर को देखने तक पहुंचते थे। उसे देखकर लालच में फंसे। इससे अंदौली में कई परिवारों का धर्मपरिवर्तन हुआ। इसके साथ ही पंथुवा के खेल्लन ने भी 15 साल पहले इस्लाम धर्म में परिवर्तन कर लिया।
वह भी अंदौली के निवासी के संपर्क में था। उसे भी रातों रात अमीर बनाने का सपना दिखाया गया था। इस समय वह कानपुर में रहता है। इसी तरह इसी गांव का विजय मौर्या का भी धर्मपरिवरत्न कराया। वहीं मौलाना का सनगांव, टीसी, हसवा, थरियांव, उसरैना समेत कई इलाकों में बड़ा प्रभाव था। वह एक स्थान पर एकत्र करके लोगों को मुस्लिम बनने पर अमीर बनने का सपना दिखाता था। कई जगह फंडिंग भी करके अपना रौब गांठता था।
वह 1984 में धर्मपरिवर्तन कर क्षत्रिय से मुस्लिम बना था। खुद के धर्म परिवर्तन को नसीहत का रूप देकर लोगों को बरगलाता था। राधानगर क्षेत्र का अंदौली गांव उमर गौतम के कार्यक्षेत्र का हब बना था। वह अंदौली गांव में एक स्थान पर साल में एक से दो बार आता-जाता रहा है। यहां उसका मसीहा की तरह अनुयायी स्वागत करते थे। अनुयायी मौलाना के आने की बात पहले से फैला देते थे। लोगों को उनकी तकरीर सुनने का झांसा देकर बुलाते थे।
यहां इस्लाम कबूलने पर जन्नत और सारे शौक पूरे होेने का विश्वास दिलाकर लोगों के जेहन में मुस्लिम धर्म की रुचि पैदा करता था। गरीबों को खासतौर पर बरगलाया जाता था। इस वजह से इलाके में सैकड़ों की तादाद में अनुयायी बने। उमर का नुरुल हुदा स्कूल की प्रबंध समिति पर पूरा प्रभाव रहा है। वह स्कूल में तकरीर पढ़ाता था। यहीं की शिक्षिका कल्पना सिंह ने उमर और प्रबंध समिति पर धर्म परिवर्तन के लिए उकसाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
तीन दशक में मौलाना उमर गौतम ने अपना नेटवर्क देश और विदेश तक फैला लिया था। इसके पीछा उसका शातिर दिमाग था। वह दीनी बातों से खास तौर से युवाओं को इस्लाम धर्म के प्रति प्रभावित करता था। एटीएस ने उसके नेटवर्क की पाकिस्तान, कतर और कुवैत तक होने की जांच की थी। मो. उमर गौतम को इस्लाम धर्म के लिए कुछ भी करने को तैयार हो गया था। यह सब कुछ इस्मालिक स्टडी के पीएचडी करने के बाद हुआ था। उसने सोशल मीडिया पर अपना यू-ट्यूब चैनल भी चालू किया था। इसमें वह सारी सभाओं के वीडियो अपलोड करता था। उसके वीडियो देखकर युवा खास तौर पर प्रभावित होते थे। वह घूम-घूमकर लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसाने के लिए जनसभाएं करता था।
जिले के अलावा उसने कानपुर, उन्नाव, हमीरपुर, बांदा, रायबरेली, गोरखपुर, बिजनौर, खतौली से लेकर केरल, आंध्रप्रदेश, हैदराबाद, दिल्ली, नोएडा, मेरठ, मुजफ्फरनगर तक नेटवर्क फैला रखा था। एटीएस की पूछताछ में उसके कई कनेक्शन सामने आए थे। सूत्रों के मुताबिक, वह सभाओं में कहता था कि उसका मकसद भारत में इस्लाम कायम करना है। यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका तक सभाएं कर खुद को इस्लाम धर्म का मसीहा मानने लगा था।