जल्द ही गरही, सिमुलतला और नारोदह इको टूरिज्म के हब के तौर पर विकसित किया जाएगा। जिसके लिए राज्य सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई है। टूरिज्म के हब के विकास के तौर पर खैरा प्रखंड के गरही जलाशय, सिमुलतला और चकाई प्रखंड स्थित नरोदह जलप्रपात का चयन किया गया है। जिला वन पदाधिकारी के मुताबिक जरुरत के हिसाब से सभी स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाएगा। इसके लिए सर्वे का कार्य पूरा हो चुका है और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
गरही जलप्रपात में पहले से ही कई तरह के प्रवासी पक्षियों का आगमन हो रहा है। यहां पर पर्यटकों की सुविधाओं के लिए विशेष विकास किया जाएगा। पर्यटक की सुविधाओं के विकास के लिए पहले चरण में करीब डेढ़ करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इस स्थान पर वॉच टावर, बर्ड कैंप, बोटिंग और आधुनिक सुविधाओं से लैस विश्रामागार का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर संचेतना केंद्र भी बनाया जाएगा। जहां पर पक्षियों के प्रजाति के बारे में लोगों को समुचित जानकारी दी जाएगी।
केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में ही झाझा प्रखंड स्थित सिमुलतला को मेडिसिनल कैपिटल ऑफ इंडिया का दर्जा दिया गया था। यहां के जंगलों में आज भी कई तरह की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा यहां का तापमान कम रहता है। इसलिए इस जगह को मिनी शिमला के नाम से जाना जाता है। सिमुलतला क्षेत्र में स्थित पर्यटक स्थलों का सारा विवरण कर एक पुस्तक का विमोचन किया जाएगा।
वन क्षेत्र स्थित हल्दिया झरना के पास पर्यटकों की सुविधा के लिए चेंजिंग रूम, नहाने के लिए तालाब, बांस की बेंच और शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। वहीं वन क्षेत्र के अधीन कई जगहों पर अलग-अलग तरह की औषधियों वाले पौधों का रोपण किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस निर्माण कार्य के लिए 35 लाख रुपए का खर्च आएगा। पर्यटकों के लिए नरोदह जलप्रपात के पास भी सभी तरह की बुनियादी सुविधाओं का विकास होगा। बताया जा रहा है कि पहले चरण में इन तीनों चयनित स्थानों पर पर्यटकों की सुविधाओं का विकास हर हाल में किया जाएगा। विभाग की तरफ से सभी तैयारी की जा रही है।