दरभंगा। बिहार के दरभंगा जिले के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के निमपोखर इलाके से रातोंरात गायब हुए तालाब के मामले को दरभंगा के डीएम राजीव रौशन ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने तत्काल सदर अंचलाधिकारी एवं ADM को आदेश दिया है कि भरे तालाब को फिर से जेसीबी के जरिए उड़ाही करें। यानी जेसीबी के मिट्टी निकालकर फिर से तालाब बनवाएं।
19 दिसंबर 2022 के पूर्व जमीन की स्थिति बहाल कर करवाएं। डीएम ने यह भी कहा कि रातोंरात तालाब भर कर बनाये गए चारदीवारी और झोपड़ी को भी जल्द से जल्द हटवाएं। डीएम की ओर से तालाब को बचाने के मामले में संज्ञान लेने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। स्थानीय जानकार का कहना है कि इस तालाब में मछुआरों द्वारा मछली पालन, मखाना की खेती सहित पानी फल (सिंघाड़ा) की खेती की जाती थी।
इसके लिए मत्स्य विभाग तालाब की नीलामी किया करता था। उनका यह भी कहना है कि इस तालाब पर भूमाफियाओं की नजर करीब दो वर्ष पहले ही पड़ गई थी। पहले एक भूमाफिया ने दो वर्ष पूर्व भी तालाब भरने की कोशिश की थी। वर्तमान में तालाब को भरवा रहा भूमाफिया अड़ंगा लगाते हुए मामले को न्यायालय में ले गया। दो वर्ष पहले भी तालाब को भरने के दौरान यह मामला विश्विद्यालय थाना पुलिस तक पहुंचा था।
पुलिस आई भी थी, लेकिन मामले को ठंडे बस्ते में देखकर एक बार फिर से रात के अंधेरे में तालाब भरने का काम भूमाफियाओं ने शुरू करवाया है। लेकिन इस बार मोहल्लावासी काफी सजग थे। इस बार थाना पुलिस ने जैसे ही मामले में सुस्ती दिखाई तो ये सभी उच्च अधिकारियों के पास चले गए। उच्च अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सदर डीएसपी अमित कुमार को जांच का जिम्मा सौंप दिया। उन्होंने भी कार्रवाई करते हुए तालाब का निरीक्षण किया और भूमाफियाओं को तलाशना भी शुरू कर दिया है।
डीएम राजीव रौशन ने रातोंरात गायब हुए तालाब के मामले में कहा कि तालाब से संबंधित अधिकारियों को जांच का आदेश दे दिया गया है। इस तालाब से जुड़ा मामला अभी अपर उप समाहर्ता के कोर्ट में चल ही रहा है। इस जमीन का दाखिल-खारिज रद्द करने के संबंध में परिवादी के जो व्यक्ति हैं, उनके पक्ष में निर्णय हुआ था। डीएम ने कहा कि सदर अंचलाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि शीघ्र ही इस मामले को उनके न्यायालय में अपील दायर करें और शीघ्र ही स्थल पर किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगाएं।
उन्होंने कहा कि तालाब की सुरक्षा के मामले में शहर में जितने भी तालाब हैं, सभी जन जीवन हरियाली का हिस्सा हैं। शहर में जितने भी तालाब हैं, सभी को अतिक्रमण मुक्त कराना है। किसी का निजी तालाब भी है, उसके स्वामित्व पर कोर्ट का डिसीजन है। फिर भी तालाब के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं कर सकता है।