कन्नौज। कन्नौज जिले में विशुनगढ़ थाना क्षेत्र के धरनीधीरपुर नगरिया गांव में गिरफ्तारी के लिए पहुंची पुलिस टीम ने दबिश के दौरान लागू किए जाने वाले स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का पालन नहीं किया। एक दुर्दांत अपराधी के घर दी जा रही दबिश में बरती गई चूक और अधूरी तैयारियों की वजह से एक नौजवान सिपाही की जान चली गई।
सोमवार रात हिस्ट्रीशीटर अशोक उर्फ मुनुआ उर्फ मुन्ना के घर जब टीम पहुंची तो पुलिस को यह पता ही नहीं था कि उसने घर के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे थे और उसके पास अवैध तमंचों के अलावा एक दोनाली बंदूक भी थी। इसी वजह से जब टीम ने घर को घेरा तो उसने पुलिस कर्मियों को टारगेट करते हुए ही फायरिंग की।
बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट व बॉडी प्रोटेक्टर भी गाड़ियों में ही रखे थे। सामने से बिना आड़ लिए ही घेरने की वजह से जब हिस्ट्रीशीटर पिता और उसके बेटे ने गोलियां चलाई तो सिपाही सचिन बच ही नहीं पाया और गोली लगने से उसकी मौत हो गई। इसके अलावा आरोपी पर दो बार सिपाहियों से बंदूकें छीनने के आपराधिक इतिहास के बावजूद सिर्फ दो थानों की फोर्स के साथ ही दबिश दी गई।
मंगलवार को एडीजी कानपुर जोन आलोक सिंह ने दबिश के दौरान पाई गई कमियों को देखने के बाद जोन के सभी जिला कप्तानों को निर्देश दिए हैं कि दबिश के दौरान ज्यादा से ज्यादा फोर्स के अलावा स्वाट टीम और सुरक्षा करने वाले साजो सामान से लैस होकर ही जाया जाए। जांच में यह बात भी सामने आई है कि दबिश के दौरान जब सचिन को गोली लगी तो उसे उठाकर सुरक्षित स्थान पर लाने में पुलिस को मुश्किल पेश आई।
ऐसा इसलिए हुआ कि क्योंकि आरोपी की पत्नी सीसीटीवी कैमरे से पुलिस कर्मियों की पोजिशन देखकर पति और बेटे को बता रही थी और दोनों निशाना साधकर पुलिस पर फायर कर रहे थे। इसके बाद घायल सचिव को दुर्गम ग्रामीण क्षेत्र से शहर में जिला अस्पताल और फिर वहां से कानपुर के रीजेंसी अस्पताल तक लाने में काफी समय लग गया जिसकी वजह से खून ज्यादा बहने से उसकी जान चली गई।
पुलिस और प्रशासन इस बात की भी जांच कर रहा है कि हिस्ट्रीशीटर के पास मिली दोनाली बंदूक का लाइसेंस था या नहीं। कन्नौज और यूपी के किसी भी जिले में उसके और परिवार के किसी भी अन्य सदस्य के नाम पर लाइसेंस जारी नहीं हुआ है। ऐसे में पुलिस इस बात की संभावना से इंकार नहीं कर रही है कि लाइसेंस पूर्वोत्तर के किसी राज्य से बनवाया गया हो।
चूंकि हिस्ट्रीशीटर पूर्व में उन राज्यों में गया भी है और बरामद बंदूक से मिलते जुलते असलहे भी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इस्तेमाल होते हैं। ऐसे में पुलिस अब इस एंगल पर अलग से जांच कर रही है। नियमानुसार किसी भी अपराधी के घर दबिश से पहले उसके आपराधिक इतिहास को देखते हुए तैयारी की जानी चाहिए।