देहरादून। उत्तराखंड की आबोहवा और सरकार की औद्योगिक प्रोत्साहन नीतियों से प्रभावित होकर देश दुनिया के निवेशकों ने निवेश में दिलचस्पी दिखाई है। जिससे वैश्विक निवेशक सम्मेलन में लक्ष्य से कई करोड़ के निवेश पर रिकॉर्ड करार किए गए। 3.50 लाख करोड़ से अधिक के एमओयू प्रदेश सरकार ने साइन किए हैं। अब प्रदेश सरकार को निवेश को धरातल पर उतारने में आने वाली चुनौतियों से भी पार पाना होगा। निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए जमीन और बुनियादी ढांचा उपलब्ध करना भी चुनौतीपूर्ण से कम नहीं है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था और रोजगार बढ़ाने के लिए वैश्विक निवेशक सम्मेलन में सरकार ने 2.50 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य तय किया था। इसके लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोड शो कर निवेशकों को उत्तराखंड में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया। साथ ही निवेश प्रस्ताव पर करार किए। सरकार ने लक्ष्य से एक लाख करोड़ के अधिक निवेश पर करार कर रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि इसमें 44 करोड़ हजार के निवेश की ग्राउंडिंग की गई।
शत प्रतिशत निवेश करार को धरातल पर उतारने के लिए चुनौतियों को पार पाना होगा। प्रदेश में नये उद्योगों को लगाने के लिए जमीन की सबसे बड़ी समस्या है। निवेशक अपने इच्छा व सुविधा के अनुसार निवेश के लिए जमीन चाहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों के साथ किए वादे पर समयबद्ध तरीके और तेजी से करना होगा। तभी निवेश प्रस्ताव धरातल पर उतर सकते हैं।
प्रदेश सरकार ने अब तक 44 हजार करोड़ के निवेश की ग्राउंडिंग कर दी है। इसमें निवेशकों को जमीन उपलब्ध होने, विभिन्न विभागों से निवेश की अनुमति मिल चुकी है। निवेशक सम्मेलन से पहले सरकार ने नये उद्योग लगाने के लिए 6000 एकड़ का लैंड बैंक तैयार किया है। राज्य गठन के बाद से प्रदेश में स्थापित सात औद्योगिक क्षेत्रों में अब नये उद्योग लगाने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है। जिससे सरकार ने नये स्थानों पर जमीन चिन्हित की है।
वर्ष 2018 में त्रिवेंद्र सरकार के समय प्रदेश में पहला निवेशक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में 1.24 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव पर एमओयू किए गए थे। लेकिन पांच साल में 30 हजार करोड़ के निवेश की ग्राउंडिंग हो पाई है। सम्मेलन में कई कंपनियों ने निवेश प्रस्ताव पर करार किया, बाद में निवेश से हाथ पीछे खींच दिए।
निवेशक सम्मेलन में जितने भी निवेश प्रस्ताव पर एमओयू हुए हैं, उन्हें धरातल पर उतारने के लिए तेजी से काम करना होगा। देरी होने की स्थिति में निवेशक निवेश की योजना बदल देते हैं। देश के हर राज्य निवेशकों को प्रोत्साहन कर रहे हैं। निवेशकों को जहां ज्यादा फायदा होता है, वहीं निवेश करता है।