उन्नाव। उन्नाव जिले के बीघापुर में करंट के झटके में परिवार वीरान हो गया। घर की खुशियों के चारों चिराग एक साथ बुझ गए। वीरेंद्र कुमार के चार बच्चे और चारों की एक साथ मौत होने से वह टूट गया। सबसे बुरा हाल बच्चों की मां का है। करंट लगने से सभी की मौत हो जाने से घर के चिराग बुझ गए। बच्चों के पढ़ाने और लायक बनाने के लिए दंपती खेती और मजदूरी करते थे।
अपनी खेती करने के साथ बटाई पर भी खेत ले रखा था। तीन बच्चों को प्राइमरी स्कूल में पढ़ने भेजते थे। रोजाना बच्चे स्कूल चले जाते थे तो वह छोटी बेटी मांशी को अपने साथ लेकर खेत चले जाते थे। रविवार को स्कूल में छुट्टी होने से उसे भी साथ नहीं ले गए थे। सभी बच्चों की मौत से परिजन ही नहीं पूरा गांव बिलख रहा है। जिसे भी घटना की जानकारी हुई आंखों से आंसू छलक पड़े।
आसपास के लोगों ने बताया कि शाम को बच्चे मिट्टी के खिलौने बना रहे थे। अचानक मयंक उठा और पंखा चलाने चला गया। करीब दस मिनट तक वह नहीं आया तो अन्य भाई बहन भी खिलौने छोड़कर उसे बुलाने पहुंच गए। उसे लेटा देखा उन्होंने बुलाया। लेकिन जब वह नहीं बोला, तो सभी उसे उठाने लगे। इसी दौरान सभी करंट की चपेट में आए और मौत हो गई।
वीरेंद्र कुमार के पिता द्वारिका प्रसाद की एक महीने पहले बीमारी से मौत हो गई थी। पिता की मौत का गम परिजन भूल भी न पाए थे कि एक साथ चारों बच्चों की मौत से दुखों का पहाड़ टूट गया। चारों बच्चों के शव देख मां शिवदेवी रोते-रोते बहोश हो रही थी। जब भी होश में आती यही कहती ससुर थे तो यह दिक्कत नहीं थी। वह बच्चों को देखे रहते थे। उनके जाते ही पूरा परिवार उजड़ गया। अब कौन मां और पिता कहके बुलाएगा। कौन बाजार से सामान लाने की जिद करेगा। सभी उसे ढांढस बंधा रहे थे।
घटना की सूचना पर विधायक आशुतोष शुक्ला, एडीएम नरेंद्र कुमार, एएसपी शशिशेखर और सीओ माया राय देर शाम मौके पर पहुंची और परिजनों को ढांढस बंधाया। विधायक ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया। करंट से मौत की सूचन पर अवर अभियंता आशीष गुप्ता मौके पर पहुंचे और कनेक्शन की जांच की तो वह वैध मिला है। वीरेंद्र कुमार और उनकी पत्नी शिवदेवी जब भी काम से घर लौटकर आते थे बच्चे देखकर खुश हो जाते थे। अक्सर गले में लिपट जाते थे। इससे पूरे दिन के काम का दर्द वह भूलकर बच्चों में मगन हो जाते थे। लेकिन एक ही झटके में विधाता ने उसके चारों बच्चे हमेशा के लिए छीन लिए।
बच्चों के शव देख मां उन्हें सीने से लगाकर बार-बार ऐसे झकझोर रही थी मानों नींद से उठाने की कोशिश कर रही हो। बार-बार कहती कि एक बार मां बुला दो। इस अनहोनी को देख वह ईश्वर को कोस रही थी कि जब एक साथ सभी बच्चों को लेना ही था तो दिया क्यों। वहीं पिता वीरेंद्र भी बच्चों को लिपटकर बिलख रहा था। सभी उसे ढांढ बंधाने में लगे हुए थे।
इस दर्दनाक मंजर को देख पड़ोस में सन्नाटा पसरा, रहा। सिर्फ अधिकारियों की गाड़ियों के सायरन सुनाई पड़ रहे थे। स्थित यह थी कि एक साथ चार भाई बहनों के शव देख सभी की आंखों में आंसू छलके। पड़ोस के कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले। पड़ोसी परिजनों को ढांढस बंधाने में जुटे रहे। डीएम अपूर्वा दुबे ने घटना पर दुख जताया। बताया कि करंट लगने से एक साथ चार बच्चों की मौत हुई है। परिवार की आर्थिक स्थित ठीक नहीं है। बिजली विभाग और कृषक दुर्घटना के तहत आर्थिक सहायता दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।