देहरादून। जिले की यमुनाघाटी में ब्लड बैंक नहीं खुल पाया है जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा गर्भवतियों व खून की कमी वालों को भुगतना पड़ता है। वहीं वर्तमान में डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए देहरादून की दौड़ लगानी पड़ रही है। हालांकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव व पुरोला में रक्त संग्रह केंद्र बनाए गए हैं जिनमें खून की उपलब्धता की जानी है। लेकिन अब तक दोनों केंद्रों में सेवाएं शुरू नहीं हो पाई है।
जिले की यमुनाघाटी में पुरोला विधानसभा सहित यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र की 40 प्रतिशत आबादी निवास करती है लेकिन नौगांव स्थित घाटी के सबसे बड़े सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित किसी भी सरकारी अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है। पौने दो लाख की आबादी वाले यमुनाघाटी में ब्लड बैंक नहीं होने लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
अधिकांश गर्भवती महिलाओं को खून की कमी पर देहरादून की दौड़ लगानी पड़ती है जिससे उनकी जान का खतरा बना रहता है। वर्तमान में मैदानी शहरों में तेजी से फैल रहा डेंगू पहाड़ों में भी दस्तक दे रहा है। यमुनाघाटी में करीब 100 लोगों में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं जिनमें से अधिकांश मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए देहरादून की दौड़ लगानी पड़ रही है।
घाटी में ब्लड बैंक की सुविधा होती तो डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए बड़े शहरों की दौड़ नही लगानी पड़ती। हालांकि सीएचसी नौगांव और पुरोला में रक्त संग्रह केंद्र बनाए गए हैं जिनमें जिला चिकित्सालय से खून की उपलब्धता की जानी है। अभी तक दोनों केंद्रों में सेवाएं शुरू नहीं हो पाई है। लोग राज्य गठन के बाद से ही यहां ब्लड बैंक की मांग कर रहे हैं।
यमुनाघाटी में ब्लड बैंक की सुविधा जरूरी है। इससे गर्भवती महिलाओं सहित आपातकालीन स्थिति में जरूरतमंद व्यक्ति को लाभ मिलेगा। शीघ्र ही ब्लड बैंक की मांग को उचित स्तर पर रखा जाएगा।
-संजय डोभाल, विधायक, यमुनोत्री विधानसभा।
ब्लड बैंक के लिए तो अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। रक्त संग्रह केंद्रों के लिए लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति होने है। उनकी नियुक्ति होते ही प्रशिक्षण करवाकर संग्रह केंद्रों को चालू किया जाएगा।
-डॉ. आरसीएस पंवार, सीएमओ उत्तरकाशी।