देहरादून। देहरादून एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट बनाए जाने की कवायद पर संशय मंडराने लगे हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के हरिद्वार में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के बयान के बाद तरह-तरह के कयासों का दौर शुरू हो गया है।
जौलीग्रांट और हरिद्वार के बीच दूरी काफी कम है। हरिद्वार में एयरपोर्ट बनने से जौलीग्रांट का विस्तारीकरण पर पर ब्रेक लग सकता है। हालांकि हरिद्वार में एयरपोर्ट बनाए जाने के बयान सामने आने से जौलीग्रांट एवं आसपास के लोग काफी खुश हैं। जौलीग्रांट एयरपोर्ट के दूसरे विस्तारीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जौलीग्रांट और अठूरवाला की 1.9935 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। रनवे विस्तार के लिए थानो वन रेंज की जमीन और भानियावाला की तरफ दुर्गा चौक के पास तक का सर्वे किया जा चुका है। जिसका लोग विरोध कर चुके हैं।
अठूरवाला निवासी गजेंद्र रावत ने कहा कि टिहरी के सैकड़ों लोग पहले ही विस्थापन का दंश झेल चुके हैं। जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए दोबारा विस्थापित नहीं होना चाहते हैं। हरिद्वार में एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए। टिहरी विस्थापित और एयरपोर्ट सलाहकार समिति के सदस्य रविंद्र बेलवाल ने कहा कि सरकार कहीं और एयरपोर्ट बनाना चाह रही है तो सराहनीय कदम है।
वर्ष 1974 में उद्योगपति बिरला ने अपने निजी इस्तेमाल के लिए जौलीग्रांट में जंगल कटवाकर देहरादून-ऋषिकेश मुख्य मार्ग से सटाकर 3500 फीट की एक हवाई पट्टी बनवाई थी। जिसे बाद में सरकार ने टेकओवर कर लिया। 1982 में हवाई पट्टी पर वायुदृत कंपनी ने 18 सीटर की दिल्ली-देहरादून के बीच पहली कामर्शियल फ्लाइट शुरू की थी। उसके बाद जेक्शन और 2004 में एयर डेक्कन ने कुछ दिनों तक एटीआर फ्लाइट संचालित की थी। 2006-07 में हवाई पट्टी का विस्तार कर एयरपोर्ट बनाया गया। रनवे की लंबाई 3500 फीट से 7021 की गई। जिसके बाद किंगफिशर ने अपने विमान उतारने शुरू किए।