रानीखेत (अल्मोड़ा)। ताड़ीखेत की महिलाएं बिच्छू घास के रेशे से राखी, बैग सहित अन्य सजावटी सामान तैयार कर आत्मनिर्भर बनेंगी। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसका रविवार को शुभारंभ हुआ।
ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नेचुरल फाइबर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एनसीएआर) की ओर से ताड़ीखेत विकासखंड सभागार में 20 महिलाओं का प्रशिक्षण शुरू हुआ।
एनसीएआर के डॉ. अतुल सिन्हा ने बताया कि बेकार समझे जाने वाला विच्छू घास महिलाओं के रोजगार का जरिया बनेगा। इसके रेशे से राखी, बैग सहित कई अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे। बताया कि प्रशिक्षण 12 दिन तक चलेगा। प्रशिक्षण को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह है।
इस मौके पर आरके मिश्रा, राजू तालुकदा, संदीप सिंह, सुनील जोशी, गोपाल डंगवाल, सुरेश बिष्ट, हेमा बिष्ट सहित कई महिलाएं मौजूद रहीं।
द्वाराहाट में महिलाएं पिरूल से बनाएंगी सजावटी सामान
तहसील क्षेत्र के बधाण गांव में नंदी देवी सेवा समिति नागार्जुन और जिला उद्योग केंद्र की ओर से दो दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस दौरान समिति के मोहित उप्रेती ने महिलाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।
मुख्य अतिथि पिरूल वुमन के नाम से प्रसिद्ध मंजू आर साह ने महिलाओं से कहा कि पिरूल से कई सजावटी सामान तैयार किया जा सकता है। इससे जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इस मौके पर ग्राम प्रधान हेमा कुवार्बी, निदेशक कृष्णानंद उप्रेती, गौरव चौधरी, संजय मठपाल, प्रीति पंत शामिल रहीं।