देहरादून। डेंगू संभावित प्रदेश के पांच जिलों में बचाव व जागरूकता का विशेष अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सख्त निर्देश दिए कि डेंगू रोकथाम में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं, 13 रेखीय विभाग भी डेंगू की मॉनिटरिंग करेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने डेंगू नियंत्रण और रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड़ पर रहने के निर्देश दिए हैं। सभी जिलाधिकारियों एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को जिला स्तर पर डेंगू नियंत्रण को प्रभावी कदम उठाने को कहा। अधिकारियों को हिदायत दी गई कि डेंगू के नियंत्रण एवं रोकथाम अभियान में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मंत्री ने डेंगू संभावित जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी एवं नैनीताल के मैदानी क्षेत्रों में जनजागरूकता एवं बचाव के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। शहरी विकास, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज विभाग, परिवहन विभाग, सिंचाई विभाग, जलापूर्ति विभाग, कृषि विभाग, पर्यटन विभाग, आपदा प्रबंधन, मौसम विभाग, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा व सूचना विभाग के साथ मिलकर प्रदेशभर में वृहद स्तर पर डेंगू नियंत्रण को जनजागरूकता अभियान संचालित करने व इसकी निरंतर मॉनिटिरिंग करने के निर्देश भी दिए।
बताया, जल्द ही रेखीय विभागों संग उच्च स्तरीय बैठक की जाएगी। प्रदेश के राजकीय चिकित्सालयों में डेंगू की निशुल्क जांच की सुविधा मुहैया है। डेंगू रोगियों के समुचित उपचार के लिए प्रदेशभर की चिकित्सा इकाइयों में 1466 डेंगू आइसोलेशन बेड आरक्षित किए गए हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है। इसके अलावा डेंगू के गंभीर रोगियों के लिए ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी अधिकारी डॉ. पंकज सिंह ने बताया, बरसात में डेंगू का संचरण एवं प्रसार तेजी से होता है। संक्रमित मच्छर के काटने पर स्वस्थ व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट होते हैं, जो तीन से 14 दिनों तक हो सकता है। डेंगू बुखार तीन प्रकार का होता है, जिसमें डेंगू बुखार (साधारण), डेंगू हेमरेजिक व डेंगू शॉक सिंड्रोम है। डेंगू बुखार में संक्रमित व्यक्ति को ठंड के साथ तेज बुखार आता है।
सिरदर्द, बदन दर्द व मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है। रोगी को भूख कम लगती है व शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। डेंगू हेमरेजिक बुखार में इन लक्षणों के साथ नाक, कान, मसूडे, शौच या उल्टी में खून आता है और त्वचा पर गहरे नीले, काले रंग के चकत्ते उभर आते हैं। डेंगू शॉक सिंड्रोम में इन सभी लक्षणों के अलावा रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है। रोगी अत्यधिक बेचैनी महसूस करता है। बताया, डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल अस्पताल में जाकर जांच अवश्य कराएं। बताया, डेंगू बुखार की रोकथाम ही इसका बेहतर उपचार है।