मैसूर भारत के कर्नाटक राज्य का एक शहर है, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह शहर संगम युग से लेकर महाबलीपुरम और चोल मंडल के साम्राज्य के राजवंशों की एक अधिकृत राजधानी थी। मैसूर शहर के पास अनेक आकर्षण हैं जो आपके मन को मोह लेंगे। मैसूर को सिर्फ एक दिन में नहीं देखा जा सकता। यह शहर इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का एक संगम है। यहाँ आपको शानदार प्राचीन मंदिर, ऐतिहासिक जगहें, सुंदर जगहें, अद्भुत पार्क और बाजार मिलेंगे।
मैसूर का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण मैसूर पैलेस है। यह पैलेस भारतीय संस्कृति का एक अनुपम उदाहरण है और इसे कई बार “मध्य इंग्लैंड” के रूप में जाना जाता है। इसका निर्माण 1897 में हुआ था। मैसूर शहर में आज भी अनेक ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं जैसे कि मैसूर पैलेस, म्यूजियम, सोमनाथपुरम देवालय और वृन्दावन गार्डन्स इत्यादि।
मैसूर के राजमहल में जाने के लिए दर्शक देश-विदेश से आते हैं। मैसूर शहर व्यापक उद्योग और वित्तीय केंद्रों के रूप में भी जाना जाता है। मैसूर का इतिहास बहुत पुराना है। यह शहर 1399 ईसा पूर्व में मदूरा राज्य के एक हिस्से के रूप में शुरू हुआ था। फिर बाद में 16वीं शताब्दी में इसे विजयनगर साम्राज्य का एक हिस्सा बनाया गया था। आज के दिन भी मैसूर मैं विजयनगर साम्राज्य के कुछ अवशेषों के साक्ष्य मिलते हैं।
मैसूर न सिर्फ कर्नाटक में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आसपास के अन्य पर्यटक स्थलों के लिए एक कड़ी के रूप में भी काफी महत्वपूर्ण है। शहर में सबसे ज्यादा पर्यटक मैसूर के दशहरा उत्सव के दौरान आते हैं। इस दौरान मैसूर महल एवं आसपास के स्थलों जगनमोहन पैलेस, जयलक्ष्मी विलास एवं ललिता महल पर काफी चहल पहल होती है। कर्ण झील चिड़ियाखाना इत्यादि भी यहां काफी आकर्षण का केन्द्र है। मैसूर के संग्रहालय भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मैसूर से थोड़ी दूर कृष्णराज सागर डैम एवं उससे लगा वृंदावन गार्डन अत्यंत मोहक स्थलों में से है। इस गार्डन की साज-सज्जा, इसके संगीतमय फव्वारे इत्यादि पर्यटकों के लिए काफी लुभावने स्थलों में से हैं। ऐतिहासिकता की दृष्टि से यहीं श्रीरंग पट्टनम का ऐतिहासिक स्थल है जो मध्य तमिल सभ्यताओं के केन्द्र बिन्दु के रूप में स्थापित था। मैसूर में केन्द्रीय विद्यालय संगठन का शिक्षा एवं प्रशिक्षण आँचलिक संस्थान है।
मैसूर नगर अति सुंदर एवं स्वच्छ है, जिसमें रंग बिरंगे पुष्पों से युक्त बाग बगीचों की भरमार है। चामुंडी पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यहां की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। यहां के भूतपूर्व महाराजा का महल, विशाल चिड़ियाघर, नगर के समीप ही कृष्णाराजसागर बाँध, वृंदावन वाटिका, चामुंडी की पहाड़ी तथा सोमनाथपुर का मंदिर आदि दर्शनीय स्थान हैं। इन्हीं आकर्षणों के कारण इसे पर्यटकों का स्वर्ग भी कहते हैं। यहाँ पर सूती एवं रेशमी कपड़े, चंदन का साबुन, बटन, बेंत एवं अन्य कलात्मक वस्तुएँ भी तैयार की जाती हैं। यहाँ प्रसिद्ध मैसूर विश्वविद्यालय भी है।
मैसूर से 13 किलोमीटर दक्षिण में स्थित चामुंडा पहाड़ी मैसूर का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस पहाड़ी की चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। मंदिर मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है। मंदिर की इमारत सात मंजिला है जिसकी कुल ऊंचाई 40 मीटर है। मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी है जो 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। पहाड़ की चोटी से मैसूर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। मंदिर के पास ही महिषासुर की विशाल प्रतिमा रखी हुई है। पहाड़ी के रास्ते में काले ग्रेनाइट के पत्थर से बने नंदी बैल के भी दर्शन होते हैं। इस मंदिर में पूजा का समय सुबह 7.30 से दोपहर 2 बजे तक और फिर दोपहर 3.30 से शाम 6 बजे तक और फिर शाम 7.30 से रात 9 बजे तक का होता है।
कृष्णराजसागर बांध 1932 में बना था। यह बांध मैसूर से 12 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसका डिजाइन श्री एम. विश्वेश्वरैया ने बनाया था और इसका निर्माण कृष्णराज वुडेयार चतुर्थ के शासन काल में हुआ था। इस बांध की लंबाई 8600 फीट, ऊंचाई 130 फीट और क्षेत्रफल 130 वर्ग किलोमीटर है। यह बांध आजादी से पहले की सिविल इंजीनियरिंग का नमूना है। यहां एक छोटा सा तालाब भी है जहां बोटिंग के जरिए बांध उत्तरी और दक्षिणी किनारों के बीच की दूरी तय की जाती है। बांध के उत्तरी कोने पर संगीतमय फव्वारे हैं। बृंदावन गार्डन नाम के मनोहर बगीचे बांध के ठीक नीचे हैं।
मैसूर चिड़ियाघर विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इसका निर्माण 1892 में शाही संरक्षण में हुआ था। इस चिड़ियाघर में 40 से भी ज्यादा देशों से लाए गए जानवरों को रखा गया है। यहां के बगीचों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया और संभाला गया है। शेर यहां के मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा हाथी, सफेद मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और गोरिल्ला भी यहां देखे जा सकते हैं। चिड़ियाघर में करंजी झील भी है। यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां एक जैविक उद्यान भी है जहां भारतीय और विदेशी पेड़ों की करीब 85 प्रजातियां रखी गई हैं। यहां आने का समय सुबह 8 बजे से शाम 5.30 बजे तक है। यह मंगलवार को बंद रहता है।
यूं तो दशहरा पूर देश में मनाया जाता है लेकिन मैसूर में इसका विशेष महत्व है। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। इसमें बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है। इस पूरे महीने मैसूर महल को रोशनी से सजाया जाता है। इस दौरान अनेक सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उत्सव के अंतिम दिन बैंड बाजे के साथ सजे हुए हाथी देवी की प्रतिमा को पारंपरिक विधि के अनुसार बन्नी मंटप तक पहुंचाते है। करीब 5 किलोमीटर लंबी इस यात्रा के बाद रात को आतिशबाजी का कार्यक्रम होता है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी उत्साह के साथ निभाई जाती है।