
नन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर नन्दप्रयाग स्थित है। यह सागर तल से २८०५ फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। कर्णप्रयाग से उत्तर में बदरीनाथ मार्ग पर 21 किमी आगे नंदाकिनी एवं अलकनंदा का पावन संगम है। पौराणिक कथा के अनुसार यहां पर नंद महाराज ने भगवान नारायण की प्रसन्नता और उन्हें पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए तप किया था।
यहां पर नंदादेवी का भी बड़ा सुंदर मन्दिर है। नन्दा का मंदिर, नंद की तपस्थली एवं नंदाकिनी का संगम आदि योगों से इस स्थान का नाम नंदप्रयाग पड़ा। संगम पर भगवान शंकर का दिव्य मंदिर है। यहां पर लक्ष्मीनारायण और गोपालजी के मंदिर दर्शनीय हैं।इसके अलावा यहां चंडिका देवी का मंदिर है। यहां नवरात्रि के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
प्रवेश के दिशानिर्देश
यह स्थल उत्तराखंड के चमोली जिले और कर्णप्रयाग के मध्य स्थित है। कर्णप्रयाग से नंदप्रयाग की दूरी केवल 21 किमी है। बाकी प्रयागों की भांति नंदप्रयाग भी बद्रीनाथ के रास्ते में ही पड़ता है, जिसके लिए आपको अलग से किसी और रास्ते की तरफ रूख करने की आवश्यकता नहीं।
अगर आप कर्णप्रयाग में ज्यादा देर रूकना नहीं चाहते हैं तो आप रात्रि विश्राम चमोली या जोशीमठ में कर सकते हैं। जोशीमठ से कर्णप्रयाग की दूरी मात्र 69 किमी है। आपको जोशीमठ में रूकने के लिये होटल्स और लॉज आसानी से मिल जाएंगे।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
दार्शनिक, आध्यात्मिक और पर्यटन के लिहाज से इस देव स्थल की अपनी अलग पहचान है। भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए यहां देश-विदेश से आने वाले सैलानियों का तांता बना रहता है। मानसिक शांति और बौद्धिक विस्तार के खोजी यहां आकर अपने जीवन के खूबसूरत पलों में एक और अध्याय जोड़ सकते हैं।
प्राकृतिक सुंदरता के प्रेमी यहां भरपूर आनंद ले सकते हैं। साथ ही दुर्लभ वनस्पति के खोजी अपने क्रियाकलापों को नया आयाम दे सकते हैं। अलकनंदा नदी के दोनों तरफ फैले घने पहाड़ी जंगल टैकिंग, नाइट कैंपेनिंग के लिए विख्यात हैं। यहां रिवर रॉफ्टिंग का अनोखा अनुभव लिया जा सकता हैं। साथ ही परिवार के साथ मजेदार पल बिता सकते हैं। यहां आप रॉक क्लाइबिंग का रोमांच भरा अनुभव भी ले सकते हैं। साथ ही नंदप्रयाग से निकलकर आप रूपकुंड में भी बेहतर ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं।