रमजान का पवित्र महीना चर रहा है। लेकिन इसके बीच दुनिया के एक बड़े मुस्लिम देश की तरफ से एक शख्स को फांसी की सजा दी गई है। यूरोपियन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ईएसओएचआर) के अनुसार, सऊदी अरब ने 14 साल में पहली बार रमजान के पवित्र महीने के दौरान फांसी दी है। लंदन और बर्लिन में कार्यालयों वाले एक गैर सरकारी संगठन ईएसओएचआर ने कहा कि देश ने 2009 के बाद से धार्मिक महीने के दौरान मौत की सजा नहीं देखी है। इस साल 2009 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि रमजान के महीने में किसी व्यक्ति को मृत्युदंड दिया गया है। इस वर्ष सऊदी अरब में कुल मौत की सजा की संख्या को 17 तक लाया गया।
ईएसओएचआर ने एक बयान में कहा कि पवित्र महीने के दौरान मौत की सजा का निष्पादन किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के शासनकाल के दौरान उभरे और तेज हुए उल्लंघनों की श्रृंखला के अतिरिक्त है। सऊदी अरब में 2009 के बाद रमजान के महीने में पहली बार मौत की सजा दी गई है। इसकी दुनिया में चर्चा भी हो रही है। सऊदी अरब की अधिकृत प्रेस एजेंसी के अनुसार 28 मार्च को इस्लाम के दूसरे सबसे पवित्र शहर मदीना में रमजान के पांचवें रोजे यानी 28 मार्च को इस व्यक्ति को मौत की सजा दी गई।
सऊदी अधिकारियों द्वारा इस साल जिन 17 लोगों को फांसी दी गई, उनमें से 12 सऊदी नागरिक थे, एक पाकिस्तानी नागरिक था, साथ ही एक भारतीय और एक जॉर्डन का था। संयुक्त राष्ट्र और दो ब्रिटिश विदेश मंत्रियों के हस्तक्षेप के बावजूद जॉर्डन के नागरिक हुसैन अबो अल-खीर को 12 मार्च को फांसी की सजादी गई। टैक्सी ड्राइवर के रूप में काम करने वाले आठ बच्चों के पिता अबो अल-खीर को कथित तौर पर 12 दिनों तक प्रताड़ित किया गया और नशीली दवाओं के आरोपों के झूठे बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।