देहरादून। शासन ने आठ आईएएस अफसरों को समय से पहले सुपरटाइम पदोन्नत वेतनमान दे दिया है। सचिवालय संघ ने इस पर सवाल खड़े करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिकायत की है। संघ ने चेताया है कि अगर आईपीएस अफसरों को अपर सचिव के पदों पर तैनात किया गया तो उनके अधिकारी-कर्मचारी उनके साथ काम नहीं करेंगे। उन्होंने मातहत अफसरों से बदतमीजी करने वालों की बैठक में शामिल न होने का भी ऐलान किया है।
शासन ने 22 दिसंबर को आईएएस अफसरों दीपक रावत, वी षणमुगम, आर राजेश कुमार, नीरज खैरवाल, विनय शंकर पांडेय, दीपेंद्र कुमार चौधरी, सुरेंद्र नारायण पांडेय और विनोद कुमार सुमन को सुपरटाइम प्रोन्नत वेतनमान देने का आदेश जारी किया था। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि जिस प्रक्रिया के लिए पात्रता तिथि एक जनवरी है, उसके लिए 22 दिसंबर को ही आदेश जारी कर दिया गया।
सचिवालय संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर इस मामले की शिकायत की। साथ ही ये भी शिकायत की कि अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी के सचिवालय सेवा संवर्ग के अफसरों पर टीका टिप्पणी करने, उपहास करने की बात गलत है, जिसके विरोध में ऐसे अफसरों की बैठक में सचिवालय सेवा के अफसर शामिल नहीं होंगे।
दीपक जोशी ने ये भी कहा कि गृह विभाग में विशेष सचिव पदनाम पर उन्हें आपत्ति है। राज्य सचिवालय में व्यक्ति विशेष अधिकारी को व्यवस्थाओं से इतर पदनाम को निरस्त करने की मांग की गई। कहा कि सचिवालय के गृह विभाग में तैनात किए गए आईपीएस अधिकारी को विशेष सचिव पदनाम दिया गया है। जोशी ने कहा कि सचिवालय में राज्य गठन से ही अपर सचिव पदनाम हैं, जबकि उत्तर प्रदेश सचिवालय में यही पदनाम विशेष सचिव के रूप में रहा था।
राज्य सचिवालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा, प्रान्तीय सिविल सेवा, वित्त सेवा एवं अन्य सेवाओं के साथ-साथ सचिवालय मूल संवर्ग के लिए भी अपर सचिव पदनाम से ही पद चिन्हित हैं, जिन पर सचिवालय सेवा के वरिष्ठतम अधिकारी कार्यरत हैं। एकाएक अभी हाल के दिनों में देखने को मिला है कि कुछ बाहरी सेवा सवंर्ग (भारतीय पुलिस सेवा) के लिए विशेषकर कुछ नए पद सचिवालय स्तर पर उपयोग में लाए गए हैं। जिसमें विशेष प्रमुख सचिव के साथ-साथ विशेष सचिव, गृह का पद भी शामिल है।
संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि मांग के अनुरूप सचिवालय सेवा के वरिष्ठतम अपर सचिव किसी भी दशा में अपने समकक्षीय पदधारक विशेष सचिव के अधीन कार्य करने के लिए किसी भी रूप से बाध्य नहीं होंगे। ऐसी स्थिति में सचिवालय सेवा का कोई भी अपर सचिव इस रूप में शासकीय कार्यों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं होगा। जल्द ही सचिवालय सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपसी बैठक व मंत्रणा कर वर्तमान परिस्थितियों में सचिवालय संघ की ओर से कड़ा निर्णय लिया जाएगा। जब तक सभी मामलों का पटाक्षेप नहीं हो जाता, तब तक सचिवालय संघ की ओर से इन सभी मामलों को प्रमुखता के साथ लड़ा जाएगा।