देहरादून। प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य की सवा करोड़ की आबादी के लिए सिर्फ एक हृदय रोग विशेषज्ञ वर्तमान में तैनात हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून में ही एकमात्र हृदय रोग विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं, जबकि तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों समेत किसी भी सरकारी अस्पताल में हृदय रोगियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है।
प्रदेश में डॉक्टरों के स्वीकृत पदों के सापेक्ष एमबीबीएस डॉक्टरों की पर्याप्त संख्या है लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों के लगभग 600 से अधिक पद खाली पड़े हैं। जिस कारण पर्वतीय क्षेत्रों से विशेषज्ञ डॉक्टरों की सुविधा न होने से मरीजों को इलाज के लिए देहरादून, ऋषिकेश समेत अन्य क्षेत्रों में आना पड़ता है।
प्रदेश की आबादी सवा करोड़ से अधिक है लेकिन हृदय रोगियों की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। यही आलम न्यूरो सर्जन का है। स्वास्थ्य विभाग के पास कॉडियोलॉजिस्ट नहीं है। जबकि बेस अस्पताल हल्द्वानी में एक न्यूरो सर्जन तैनात है।
पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में से सिर्फ राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून में कॉडियोलॉजिस्ट तैनात है। मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी, श्रीनगर और अल्मोड़ा में भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है।
निजी अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ डॉक्टरों को ज्यादा वेतन के साथ अन्य सभी सुविधाएं मिलती है। इस कारण सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिल रही है। अब सरकार ने विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्रति माह चार लाख तक वेतन देने का आफर दिया है।
प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इसके लिए संविदा के आधार पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की जा रही है। जिन्हें प्रतिमाह चार लाख तक वेतन दिया जाएगा।
– आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य
बाल रोग 91 और सर्जन के 94 पद खाली
प्रदेश में एनेस्थिसिया के 145 पदों में से 83 पद खाली हैं। बाल रोग विशेषज्ञ के 155 पदों के सापेक्ष 91 पद खाली पड़े हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ के 165 पदों में 106, सर्जन के 140 पदों में से 94 पद, फिजिशियन के 149 में से 117 पद, चर्म रोग के 32 पदों से 28 पद खाली हैं।