आइये आज आपको दिल्ली के पास स्थित एक रमणीय स्थल के बारे में बताते हैं। इस स्थल का नाम है नारकण्डा। इस जगह का आनंद उत्तर भारत के लोग आसानी से उठा सकते हैं क्योंकि यहां शिमला से कार द्वारा लगभग दो घंटे में पहुंचा जा सकता है। नारकण्डा घने देवदारू वन के बीचोंबीच स्थित है। जिन पर्यटकों को निस्तब्ध पर्वतों में सुंदरता की तलाश हो उनके लिए नारकण्डा एक आदर्श स्थल है। इसमें कोई शक नहीं कि शिमला की तरह यहां पर यात्रा तथा आवास का आधुनिक साजोसामान नहीं मिलता। मैदानी क्षेत्रों से नारकण्डा को जाने के लिए पर्यटकों को पहले शिमला आना होता है और फिर यहां से बस द्वारा आगे चलना पड़ता है।
वर्षा के कारण यदि सड़क खराब हो तो थोड़ी बहुत तकलीफ महसूस होती है अन्यथा किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। मार्ग में घाटी के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं जिनके कारण मार्ग में होने वाली छोटी−मोटी कठिनाई का अहसास होता ही नहीं है। नारकण्डा चोटी समुद्र सतह से 8100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पर्वत शिखर के पास सड़क को जोड़ते दोहरे मार्ग बने हुए हैं। इस प्रकार हर मोड़ से घाटी की नैसर्गिक सुंदरता दर्शनीय है।
विस्तृत हिमाच्छादित पर्वत चोटियां नारकण्डा की आभा को चार चांद लगा देती हैं। नारकण्डा की तलहटी पर उत्तर दिशा की ओर से सतलुज नदी प्रवाहित होती है और इसके पिछले क्षेत्र में गिरि पिण्ड हैं। जिस पर्वत पर नारकण्डा स्थित है उसी के पास जल विभाजक स्थल है जो उत्तर की ओर से सतलुज और गिरि गंगा यमुना की सहायक नदी है। नगर से निकलने वाला वर्षा का पानी सतलुज घाटी से गिरता है। दक्षिण दिशा में गिरि गंगा यमुना में गिरती है। इस प्रकार नारकण्डा का यह शांत स्थल अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है।
नारकण्डा में आवास की सुविधा सीमित है। यहां सामान्य लेकिन साफ−सुथरी जगह रहने को मिल जाती है। बस्ती से कुछ दूर हिमाचल पर्यटन होटल है। यह एक पहाड़ी की चोटी पर है और यहां पर देवदार का मनोहर वन है। यह नारकण्डा से आने वाली सड़क के कोलाहल से दूर है। वैसे हर दृष्टि से लोक निर्माण विभाग का विश्राम गृह अधिक सुविधाजनक है। इसके सब कमरे पर्वत की ओर खुलते हैं और यहां से बैठे−बैठे पर्वतों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
पहाड़ों की असली सुंदरता देखने का सबसे सही समय होता है सर्दियों का मौसम। इस मौसम में वर्षा से धूल बैठ गई होती है और भारी तथा निचली सतह के बादल ओझल हो जाते हैं। पर्वत शिखरों का दृश्य निर्मल हो जाता है, सूरज के झिलमिलाते प्रकाश में नीला आकाश देखते ही बनता है। क्योंकि सुबह कोहरा साफ हो जाता है इसलिए सूर्योदय के समय पर्वतों का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। सूर्य की किरणों का प्रतिबिंब बर्फ पर पड़ता है और बर्फीले पहाड़ों पर इंद्रधनुषी रंग देखे जा सकते हैं। सूर्योदय का दृश्य भी रमणीय होता है। उसका लाल और संतरी रंग मनभावन होता है। हात्तू पीक से अच्छा दृश्य देखा जा सकता है।