देहरादून। भू-धंसाव के संकट से घिरे जोशीमठ के प्रभावित परिवारों की रायशुमारी से ही नया जोशीमठ बसेगा। प्रदेश सरकार एक मॉडल हिल टाउन बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना को निर्देश दिए कि वे नए जोशीमठ, वन टाइम सेटलमेंट या किसी अन्य विकल्प के संबंध में प्रभावित परिवारों के सुझाव लेकर अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द शासन को भेजें।
मुख्यमंत्री बृहस्पतिवार को राज्य सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के हालात की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र से जिन लोगों को विस्थापित किया जाएगा, उनको सरकार की ओर से उनकी बेहतर व्यवस्थाएं की जाएंगी।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बैठक में बताया कि राष्ट्रीय जल विज्ञान (एनआईएच) की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में जोशीमठ में रिस रहा पानी और एनटीपीसी परियोजना के टनल का पानी अलग-अलग है। अन्य केन्द्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट एवं एनआईएच की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगी। प्रभावित क्षेत्र में पानी का डिस्चार्ज एवं सिल्ट दोनों काफी तेजी से कम हुआ है। बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनंद बर्द्धन, सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम, अपर सचिव सविन बंसल, आनन्द श्रीवास्तव एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के जिन शहरों में समुचित ड्रेनेज प्लान एवं सीवर सिस्टम नहीं हैं, उनमें ड्रेनेज एवं सीवर सिस्टम के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्य योजना बनाई जाए। शहरों को श्रेणी वार चिन्हित किया जाए। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में भू-धसांव के कारणों को लेकर सभी तकनीकी संस्थानों एवं वैज्ञानिकों की रिपोर्ट आते ही आगे की योजना पर तेजी से कार्य किया जाए। भू-धंसाव क्षेत्र के अध्ययन की फाइनल रिपोर्ट के बाद ट्रीटमेंट के कार्य तेजी से सुनिश्चित किए जाएं।
जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर देश में विभिन्न जगहों पर बैठे कुछ लोग सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की स्थिति को भयावह दर्शा रहे हैं। वे जोशीमठ समेत पूरे प्रदेश के बारे में ऐसा दर्शा रहे हैं कि यह खतरे में है और डूब रहा है। जबकि वास्तव ऐसा कुछ नहीं है। जोशीमठ में ही 70 फीसदी लोग सामान्य जीवन जी रहे है। यह व्यथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने व्यक्त की।
राज्य सचिवालय में मीडियाकर्मियों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने जोशीमठ भू-धंसाव के बारे में सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही खबरों पर चिंता जाहिर की। बकौल सीएम, सबसे बड़ी बात यह है कि देश भर के लोग ट्वीटर और सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तराखंड की स्थिति को बहुत भयावह दर्शा रहे हैं।
मैं कहना चाहता हूं कि ऐसी स्थिति नहीं है। गलत खबरों से उत्तराखंड में ही नहीं पूरे देश में नकारात्मक संदेश जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं। ऐसे गलत संदेश नहीं जाने चाहिए कि उनमें गलत संदेश न जाए। उन्होंने अपील की कि देश के विभिन्न स्थानों पर बैठकर इस प्रकार के संदेश देना बंद करें।