देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व सचिव मुकेश सिंघल सतर्कता (विजिलेंस) जांच के घेरे में आ गए हैं। राज्यस्तरीय सतर्कता समिति ने सिंघल के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच की अनुमति दे दी है। सिंघल के अलावा समिति ने ऊधम सिंह नगर में तैनात सब इंसपेक्टर कविंद्र शर्मा के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति की जांच कराने का निर्णय लिया है।
सिंघल पर आरोप है कि उन्होंने विधानसभा में 32 पदों पर भर्ती परीक्षा के लिए विवादित एजेंसी आरएम टेक्नो साल्यूशंस का चयन किया। परीक्षा कराने के बाद एजेंसी को बिल प्राप्त होने के दो दिन के भीतर 59 लाख का भुगतान कर दिया।
राज्य सचिवालय में सोमवार को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में सतर्कता समिति की बैठक में कार्मिक सतर्कता विभाग ने दो लोकसेवकों के खिलाफ सतर्कता जांच की अनुमति का मामला रखा था। सतर्कता विभाग ने इन दोनों राजपत्रित अधिकारियों के मामले में शासन से जांच की इजाजत चाही है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, समिति ने विधानसभा के पूर्व सचिव मुकेश सिंघल के मामले को गंभीर मानते हुए विजिलेंस जांच की अनुमति दे दी। एक अन्य मामले में ऊधम सिंह नगर जिले में तैनात एक सब इंसपेक्टर विजिलेंस जांच के घेरे में आ गए हैं। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत है। समिति ने उनके खिलाफ जांच कराए जाने की अनुमति दे दी है।
विधानसभा के पूर्व सचिव मुकेश सिंघल की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। बैकडोर भर्ती मामले में विशेष जांच समिति ने उनकी भूमिका पर सवाल उठाए थे। समिति की रिपोर्ट के आधार पर स्पीकर ने उन्हें विस सचिव पद से निलंबित कर दिया था। इसी मामले में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। बाद में उन्हें पदावनत (डिमोट) कर संयुक्त सचिव बना दिया गया। अब सिंघल विजलेंस जांच के घेरे में आ गए हैं।