देहरादून। प्रदेश में ड्रोन तकनीक में नए प्रयोगों के साथ इनके लिए राज्य सरकार रास्ते भी बना रही है। ड्रोन ट्रैफिक संभालने के लिए सभी जिलों में कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। हवाई सेवाओं की तर्ज पर ये ऐसे रास्ते होंगे, जिनसे सरकारी और निजी ड्रोन उड़ान भर सकेंगे।
दरअसल, ड्रोन के भविष्य में उपयोग को देखते हुए इसके लिए रास्ते तैयार करने की जरूरत महसूस की जा रही है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने इसके लिए ड्रोन कॉरिडोर बनाने पर काम शुरू किया है। आईटीडीए के निदेशक अमित सिन्हा का कहना है कि सभी जिलों में ड्रोन संचालन के लिए जो कॉरिडोर बनेंगे, उन्हें आपस में लिंक किया जाएगा। इसके बाद प्रदेश में ड्रोन के समर्पित रास्तों का पूरा नेटवर्क तैयार हो जाएगा। नियम को तोड़ने वालों पर भविष्य में कार्रवाई भी हो सकेगी।
ड्रोन कॉरिडोर बनाने के पीछे एक मकसद यह भी है कि इससे ऐसे रास्ते तैयार किए जाएंगे, जो हवाई सेवाओं को बाधित न करें। वहीं, सीमांत प्रदेश होने के नाते तमाम प्रतिबंधित क्षेत्रों को भी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
अभी प्रदेश में उत्तरकाशी से दून या अन्य जगहों पर ड्रोन संचालन का कोई समर्पित कॉरिडोर नहीं है, जिससे कई ड्रोन को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इससे समय और ड्रोन की बैटरी भी जल्द खत्म होने का खतरा है। लिहाजा, ड्रोन कॉरिडोर ऐसे बनाए जाएंगे, जिससे उड़ान का समय तो कम होगा ही, उसकी बैटरी भी लंबी दूरी की उड़ान में मदद करेगी।
ड्रोन के क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास के मद्देनजर सरकार जल्द ही ड्रोन नीति लाने जा रही है। आईटीडीए ने इसका ड्राफ्ट शासन को भेजा है। इसके तहत ड्रोन संचालन से लेकर ड्रोन की खरीद तक के सभी प्रावधान किए जाएंगे। जल्द ही यह नीति कैबिनेट में आने का अनुमान है।