देहरादून। देहरादून के चर्चित रणवीर एनकाउंटर के दोषी पुलिसकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। तीन जुलाई 2009 में हुए कथित एनकाउंटर मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर संतोष कुमार जायसवाल, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, जीडी भट्ट, नीरज यादव और कांस्टेबल अजीत को जमानत मिली है। मामले में कुल 17 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। कुछ को न्यायालय ने बरी कर दिया था। अब भी पांच सुद्धोवाला जेल में बंद में थे।
रणवीर एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिए जाने के बाद उत्तराखंड पुलिस के दामन पर कभी न धुलने वाला दाग लग गया था। कोर्ट से भी यह हकीकत साबित हो गई थी कि एमबीए के छात्र रणवीर को पुलिस ने उठाकर मारा था। मोहिनी रोड पर गाली-गलौज को लेकर एक दारोगा से टकराव हो गया था। चौकी में सबक सिखाने के लिए दी गई यातनाओं के दौरान हालात बिगड़ने पर पुलिस ने बचाव में यह पूरा खेल रचा था।
मुठभेड़ को लेकर पुलिस की तो अपनी कहानी है, लेकिन बाद में पूरी साजिश सामने आ गई। असलियत यह थी कि 3 जुलाई 2009 की दोपहर को रणवीर दो साथियों के साथ मोहिनी रोड पर बाइक लिए खड़ा था। डालनवाला कोतवाली से लौटते हुए दारोगा जीडी भट्ट ने संदिग्ध मानते हुए उनसे सवाल-जवाब किए। निर्दोष रणवीर खुद को संदिग्ध मानने से तिलमिला उठा।
संदिग्ध कहे जाने को लेकर दारोगा से कहा-सुनी हुई और बात बढ़ने पर धक्का-मुक्की हो गई। किसी ने इस हंगामे की जानकारी कंट्रोल रूम पर दे दी। पुलिस रणवीर को पकड़कर चौकी ले गई। रणबीर के परिजनों का आरोप है कि यहां पर उसे थर्ड डिग्री देकर टार्चर किया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई।
अपना जुर्म छुपाने के लिए पुलिस उसे गाड़ी में डालकर लाडपुर के जंगल में ले गई, जहां पर फर्जी मुठभेड़ की कहानी गढ़कर उसकी हत्या कर दी गई है। इस कहानी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तस्दीक करती है। रिपोर्ट में कहा गया था कि रणवीर के शरीर में 28 चोटें पाई गई हैं। इसी हकीकत को आधार बनाकर परिजनों ने पुलिस के खिलाफ जंग जीती है।
पुलिस की कहानी के मुताबिक 3 जुलाई 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का मसूरी में दौरा होने के कारण पुलिस काफी सतर्क थी। सरकुलर रोड पर आराघर चौकी प्रभारी जीडी भट्ट दुपहर के समय वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच मोटर साइकिल पर आए तीन युवकों को रोका गया तो उन्होंने भट्ट पर हमला कर उनकी सर्विस रिवाल्वर लूट ली। लूटपाट के बाद तीनों बदमाश फरार हो गए।
कंट्रोल रूम में सूचना प्रसारित होने के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने बदमाशों की तलाश शुरू की गई। करीब दो घंटे बाद लाडपुर के जंगल में बदमाशों से मुकाबले का दावा किया गया। आमने-सामने की फायरिंग में पुलिस ने रणवीर पुत्र रवींद्र निवासी खेकड़ा बागपत को मार गिराने का दावा किया था, जबकि उसके दो साथी फरार दर्शाए गए थे। मौके पर ही लाइसेंस के आधार पर उसकी पहचान कर दी गई थी। उस समय अफसरों ने भी मौके पर पहुंचकर पुलिस की पीठ थपथपाई थी।
रणवीर एनकाउंटर
- 3 जुलाई 2009 को एनकाउंटर में रणवीर की हत्या
- 4 जुलाई को हत्या का आरोप, हंगामा, लाठीचार्ज किया
- 5 जुलाई को पीएम रिपोर्ट आई, 25 चोटे, 22 गोली घंसी
- 5 जुलाई को सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश
- 6 जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा
- 7 जुलाई को सीबीसीआईडी की टीम ने शुरू की जांच
- 8 जुलाई को नेहरु कॉलोनी थाने से रिकार्ड जब्त किया
- 8 जुलाई को सरकार की सीबीआई जांच की सिफारिश
- 31 जुलाई को सीबीआई ने दून आकर शुरू की जांच
- 4 जून को दिल्ली की विशेष अदालत का फैसला सुरक्षित
- 6 जून को 18 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया