देहरादून। मोदी सरकार ने 2017 में देहरादून को स्मार्ट सिटी परियोजना की जो सौगात दी थी, वह भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई है। सुस्त रफ्तार और खराब गुणवत्ता पर जहां मुख्यमंत्री ने अफसरों को फटकार लगाई, वहीं देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए परियोजना की वित्तीय जांच की मांग की है। इसके अलावा तीन भाजपा विधायकों ने भी नाराजगी जताते हुए परियोजना पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्मार्ट सिटी परियोजना की समीक्षा बैठक बुलाई। बैठक में देहरादून से भाजपा के तीन विधायकों विनोद चमोली, खजानदास और उमेश शर्मा काऊ ने कार्य की सुस्त गति और गुणवत्ता पर सवाल खड़े करते हुए कार्रवाई की मांग की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त नाराजगी जताते हुए अफसरों को फटकार लगाई।
उधर, शहर के मेयर सुनील उनियाल गामा ने परियोजना में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि इस परियोजना की वित्तीय जांच हो ताकि भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके। उन्होंने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री की ओर से निलंबन और कंपनियों को हटाने जैसी कार्रवाई के बावजूद अब तक किसी ठेकेदार पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने स्मार्ट सिटी को जनता के लिए सिरदर्द बताया। बता दें, पिछले साल नवंबर में पलटन बाजार, परेड ग्राउंड, राजपुर रोड पर शुरू हुआ नालों का निर्माण कार्य अब तक अधूरा है।
धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने कहा कि सीएसआर फंड के तहत लैंसडौन चौक पर करोड़ों की लागत से जिस लाइब्रेरी का निर्माण किया गया, वहां पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने स्मार्ट सिटी को लेकर नए सिरे से मसौदा तैयार करने को कहा। कहा कि महाराजा अग्रसेन चौक से सहारनपुर चौक तक सड़क का चौड़ीकरण हो। ऐसा नहीं हुआ तो परियोजना अधूरी रहेगी। उन्होंने हरिद्वार बाईपास पर माता मंदिर से कारगी चौक तक सीवर लाइन बिछाने, भंडारी बाग से पथरी बाग तक पुरानी सीवर लाइन की जगह नई लाइन बिछाने की मांग की।
राजपुर रोड के विधायक खजानदास का कहना है कि स्मार्ट सिटी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है। ऐसे में इसमें लापरवाही बरतने वाले अफसरों, इंजीनियरों और निर्माणदायी एजेंसियों पर कार्रवाई की भी जरूरत है। ग्रीन बिल्डिंग जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना की तो अभी शुरुआत ही नहीं हो पाई है। फिलहाल निर्माण कार्यों की जो रफ्तार है, उसे देखते हुए नहीं लगता कि अगले साल तक स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्य पूरे हो जाएंगे। परियोजना से जुड़े निर्माण कार्यों को तेजी से पूरा जाए ताकि लोगों को राहत मिले।
इन दस वार्डों में हो रहे कार्य
शिवाजी मार्ग, खुड़बुड़ा मोहल्ला, तिलक रोड, कालिका मंदिर मार्ग, झंडा मोहल्ला, धामावाला, एमकेपी रोड, घंटाघर, बकरालवाला, करनपुर।
ये कार्य पूरे
स्मार्ट स्कूल, स्मार्ट वाटर एटीएम, इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, ई कलेक्ट्रेट, स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन, सिटीजन आउटरीच प्रोग्राम, स्मार्ट क्रश बिल्डिंग, मॉडर्न लाइब्रेरी।
ये परियोजनाएं अधूरी
पीपीपी मोड में स्मार्टपोल की स्थापना, स्मार्ट ड्रेनेज सिस्टम, परेड मैदान का सौंदर्यीकरण, स्मार्ट सीवरेज सिस्टम, ग्रीन बिल्डिंग, ट्री प्लांटेशन, सीवर लाइन आगमेंटेशन प्रोजेक्ट।
यहां भी डालें नजर
- 2017 में शुरू हुआ काम
- 2022 में पूरा होने का लक्ष्य
- 1537 करोड़ रुपये की परियोजना
- 500 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी
- 500 करोड़ राज्य सरकार वहन करेगी
- 537 करोड़ रुपये पीपीपी मोड से जुटाने हैं
- 40 फीसदी काम अब भी अधूरा
- कितने लोगों पर कार्रवाई : धीमी रफ्तार पर एक जेई निलंबित, एक ठेकेदार पर मुकदमा
- इन कंपनियों से काम छीना : हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लि., ब्रिज एंड रूफ