हाथियों को एक से दूसरे राज्य ले जाने के लिए केंद्र की अनुमति की जरूरत होती है। मैं दिल्ली में हूं अभी इस मामले में विस्तृत जानकारी नहीं है। इसमें जो भी है उसकी जानकारी दी जाएगी।
-समीर सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव
इस तरह का प्रकरण है तो इसमें विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
-सुबोध उनियाल, वन मंत्री
देहरादून। उत्तराखंड वन विभाग ने केंद्र सरकार की अनुमति के बिना कार्बेट पार्क से तीन हाथियों को गुजरात भेज दिया। बदले में गुजरात से चार हाथी उत्तराखंड लाए गए। केंद्र सरकार ने हाथियों की अदला-बदली की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। यह मामला इस साल चुनाव आचार संहिता के दौरान का बताया जा रहा है। तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक व वर्तमान में मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ.पराग धकाते ने इसकी पुष्टि की है।
उनके मुताबिक, दोनों राज्यों के मुख्य वन जीव प्रतिपालक की एनओसी पर हाथियों की अदला-बदली की गई। लेकिन केंद्र से इसकी अनुमति नहीं मिली। बिना अनुमति हाथियों को क्यों भेज दिया गया? इस प्रश्न पर उनका कहना है कि केंद्र सरकार की अनुमति की प्रत्याशा और दोनों राज्यों के मुख्य वन जीव प्रतिपालकों की सहमति पर हाथियों की अदला-बदली हुई। लेकिन केंद्र से अनुमति न मिलने पर गुजरात वन विभाग और कार्बेट पार्क के निदेशक को सूचना दे दी गई है।
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, कार्बेट नेशनल पार्क के हाथीखाने में रखे गए हाथी छोटे कद के थे। कार्बेट के निदेशक का प्रस्ताव आया था कि पेट्रोलिंग के लिए व्यस्क और बड़े कद वाले हाथी की आवश्यकता है। इस प्रस्ताव पर हाथियों की अदला-बदली की गई। अब केंद्र से अनुमति न मिलने पर निदेशक कार्बेट को लिखा गया है कि हाथियों को वापस मंगाया जाए। अभी हाथियों को वापस नहीं किया गया है। अब यह सवाल है कि क्या हाथी वापस होंगे?
विभागीय सूत्रों का कहना है कि हाथी शेडयूल वन का प्राणी है। उसे एक से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के साथ ही केंद्र सरकार से अनुमति की जरूरत होती है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। सूत्र बताते हैं कि हाथियों को गुजरात में (आश्रम ट्रस्ट) को दिया गया है। हालांकि विभाग के अधिकारी डा.पराग धकाते का कहना है कि गुजरात में हाथियों को रेस्क्यू सेंटर में भेजा गया है।