नैनीताल। प्रदेश के शहरों के स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ने पर गहरी चिंता जताते हुए हाईकोर्ट ने कड़ा कदम उठाया है। अब हाईकोर्ट खुद एक ई-मेल आईडी बनाएगा, जिसमें प्रदेश के नागरिक सॉलिड वेस्ट व कचरे की शिकायत दर्ज कर सकेंगे। यह सभी शिकायतें कुमाऊं और गढ़वाल आयुक्त को भेजी जाएंगी। दोनों मंडलों के आयुक्त अपने क्षेत्र की शिकायतों का निस्तारण 48 घंटे के भीतर कर उसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में देंगे।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगाने, जहां-तहां बिखरे प्लास्टिक कचरे का निस्तारण करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। हाईकोर्ट ने इस मामले में जिलाधिकारियों की ओर से पेश शपथपत्रों पर सख्त नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि प्लास्टिक और दूसरे कचरे के निस्तारण के लिए जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है। केवल कागजी काम हो रहे हैं। इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
अदालत ने कहा कि कुमाऊं-गढ़वाल आयुक्त संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों के साथ गांव-गांव का दौरा कर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी लेंगे तथा निस्तारण की भी पहल करेंगे। शहरों में पड़े लीगेसी वेस्ट (पुराना कूड़ा) के निस्तारण के लिए कोर्ट ने संबंधित निकायों को अंतिम अवसर दिया है। कहा कि इसके बाद कोर्ट संबंधित निकायों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
अल्मोड़ा के हवालबाग निवासी जितेंद्र यादव ने दायर जनहित याचिका में कहा था कि प्लास्टिक को लेकर 2013 में बनी नियमावली का पालन नहीं हो रहा है। नियम के अनुसार उत्पादनकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक वापस ले जाएंगे। अगर नहीं ले जाते हैं तो इसके निस्तारण के लिए संबंधित निकाय को फंड देंगे। उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए हैं और इसका निस्तारण नहीं किया जा रहा है।
शहर राज्य की रैंकिंग देश में रैंकिंग
- देहरादून 1 69
- रुड़की 2 134
- ऋषिकेश 3 220
- कोटद्वार 4 270
- रुद्रपुर 5 277
- हल्द्वानी 6 282
- काशीपुर 7 304
- हरिद्वार 8 330
*स्रोत : शहरी विकास मंत्रालय 2022.