राजेश को दिए जाने वाले दो करोड़ रुपये भी केंद्रपाल ने उसके ससुराल के सदस्यों और अन्य रिश्तेदारों को दिए। इसके बाद केंद्रपाल ने हाकम के माध्यम से हरिद्वार और मोरी में अपनी चेन शुरू कर दी। हाकम के माध्यम से उसने 150 से अधिक अभ्यर्थियों को पेपर मुहैया कराए। दूसरी चेन कंपनी के कर्मचारियों ने शुरू कर दी।
देहरादून। पेपर लीक होने के बाद उसे बेचने की जो लंबी चेन बनी, उसकी अहम कड़ी मास्टरमाइंड राजेश चौहान की ससुराल थी। केंद्रपाल और राजेश की जान पहचान भी ससुराल के एक सदस्य ने ही कराई थी। इन्हीं की मौजूदगी में पेपर लीक का सौदा हुआ और फिर रुपये भी राजेश की ससुराल और रिश्तेदारों को दिए गए। अब एसटीएफ इन पर भी शिकंजा कसने जा रही है।
राजेश से पेपर खरीदकर केंद्रपाल ने अपनी चेन बनाई और फिर कर्मचारियों ने अपनी चेन बनाकर करोड़ों रुपये के वारे न्यारे कर डाले। अभी तक कुल मिलाकर 300 से अधिक अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचने की जानकारी एसटीएफ को मिल चुकी है। दरअसल, केंद्रपाल धामपुर का रहने वाला है। टेंपो चलाने से लेकर महज 10 वर्षों के भीतर ही वह धामपुर में अच्छी-खासी पकड़ रखने लगा। पेपर लीक के मास्टरमाइंड आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन के मालिक राजेश चौहान की ससुराल भी धामपुर में है।
उसकी ससुराल के एक सदस्य के साथ केंद्रपाल का मेल मिलाप था। इसी ने राजेश और केंद्रपाल की मुलाकात करा दी। चूंकि, केंद्रपाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक कराता था। लिहाजा, उसकी राजेश से भी बात हो गई। स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर की डील भी राजेश के ससुराल वालों की मौजूदगी में हुई।
राजेश के गुर्गे अभिषेक ने टेलीग्राम के माध्यम से दून के एक कोचिंग सेंटर संचालक और अपने साथी जयजीत को पेपर बेच दिया। इनमें से कोचिंग सेंटर वाले ने अपने विद्यार्थियों को नकल कराई जबकि जयजीत ने पेपर मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम करने वाले संविदा कर्मियों को बेच दिया। यहां से इन कर्मचारियों के माध्यम से दूसरी, फिर तीसरी और चौथी चेन बनती चली गई।
एसटीएफ के अनुसार धामपुर में राजेश चौहान के कई रिश्तेदार रडार पर हैं। इनमें से जल्द ही गिरफ्तारियां की जाएंगी। इसके अलावा आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन के अन्य डायरेक्टरों के बारे में भी जानकारी मिली है। यह भी उसके भाई-बंधु बताए जा रहे हैं। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि इन सबसे पूछताछ की जा रही है।
फिलहाल, कई घरों से बाहर बताए जा रहे हैं। पेपर लीक में मिले धन का बहुत बड़ा हिस्सा इनके पास भी गया है। यदि पुख्ता साक्ष्य मिलते हैं तो जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है। राजेश को गिरफ्तारी से पहले एसटीएफ दो बार पूछताछ के लिए बुला चुकी थी। एसटीएफ को कहीं न कहीं उसकी बातों में झोल लग रहा था।
एसटीएफ ने केंद्रपाल से पूछताछ के बाद जब उसे तीसरी बार बुलाया तो उसकी सारी कहानियां गिर गईं। अपनी बातों में फंसे राजेश चौहान को एसटीएफ ने साक्ष्य मिलते ही गिरफ्तार कर लिया।