महिलाओं को नौकरी में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण के मसले की सरकार ने हाईकोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं कर पाई। यही वजह है कि इस पर रोक लगी है। महिलाओं को इसका लाभ मिलता रहे इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट जाए या फिर इसके लिए अध्यादेश लाए।
-करण माहरा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
देहरादून। उत्तराखंड में आधी आबादी को भाजपा अपने मजबूत वोट बैंक के तौर पर देखती है। महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण पर आए अदालत के फैसले से पार्टी असहज है। उस पर क्षैतिज आरक्षण का बचाव करने का जबर्दस्त दबाव है। माना जा रहा है कि पार्टी की ओर से भी प्रदेश सरकार से अनुरोध किया जाएगी कि वह महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण के मामले में पूरी ताकत के साथ कानूनी लड़ाई लड़े।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट ने कहा कि राज्य की महिलाओं के 30 प्रतिशत आरक्षण के मसले पर हमने सरकार से बात की है। उन्होंने भरोसा जताया कि प्रदेश सरकार इस मामले में कोई न कोई कानूनी रास्ता निकाल लेगी। भट्ट ने क्षैतिज आरक्षण का समर्थन किया और कहा कि राज्य की महिलाओं का अहित नहीं होने दिया जाएगा।
उत्तराखंड मूल की महिलाओं के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर अदालत की रोक के बाद सियासत गरमा गई है। प्रदेश कांग्रेस ने सरकार पर अदालत में कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाया है और सरकार से सुप्रीम कोर्ट जाने की मांग की। उधर, भाजपा ने कहा कि सरकार कोई न कोई रास्ता निकाल लेगी। अमर उजाला ने इस मसले पर अलग-अलग लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली। सभी ने राज्य की महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण देने का समर्थन किया है।
महिलाएं मजबूती से आगे बढ़े इसके लिए उन्हें नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलता रहना चाहिए। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री से अनुरोध करुंगी। महिलाओं के हित में जो भी संभव होगा उसे लेकर आवश्यक कदम उठाया जाएगा।
– कुसुम कंडवाल, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग