
रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर)। रंगीन पैकेटों में बंद पिज़्ज़ा, बर्गर, नूडल्स, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स अब बच्चों के लिए स्वाद का नहीं बल्कि गंभीर बीमारियों का कारण बनते जा रहे हैं। रुद्रपुर समेत जिले भर में फास्ट फूड बच्चों की सेहत के लिए “धीमे ज़हर” की तरह काम कर रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो आने वाली पीढ़ी कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों से घिर जाएगी।
हाल ही में अमरोहा की एक 16 वर्षीय बच्ची की दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान मौत ने इस खतरे को और उजागर कर दिया है। चिकित्सकीय जांच में सामने आया कि बच्ची के आंत और अन्य अंदरूनी अंग फास्ट फूड के अत्यधिक सेवन से बुरी तरह प्रभावित हो चुके थे। इस घटना के बाद बरेली, पीलीभीत समेत कई जिलों में निजी स्कूलों ने बच्चों और अभिभावकों को जंक फूड के खिलाफ जागरूक करने की पहल शुरू कर दी है। कई स्कूलों में टिफिन में फास्ट फूड लाने पर पूर्ण प्रतिबंध भी लगाया गया है।
10 की उम्र में मोटापा, 15 में डायबिटीज
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एम.के. तिवारी के अनुसार, अब 10 से 15 वर्ष की उम्र में ही बच्चे मोटापा, फैटी लीवर, उच्च रक्तचाप और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। फास्ट फूड में मौजूद ट्रांस फैट, अत्यधिक नमक, चीनी और केमिकल प्रिज़र्वेटिव बच्चों की आंतों और लीवर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लगातार जंक फूड खाने से पाचन तंत्र कमजोर हो रहा है, जिससे गैस, कब्ज, उल्टी, पेट दर्द और संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में फैटी लीवर की समस्या चिंताजनक स्तर तक पहुंच रही है, जो आगे चलकर लीवर फेल होने जैसी जानलेवा स्थिति पैदा कर सकती है। इसके साथ ही दिल की धड़कन असामान्य होना और सांस संबंधी दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक जंक फूड बच्चों के शरीर में “टाइम बम” की तरह काम कर रहा है।
मोबाइल-टीवी और फास्ट फूड की खतरनाक तिकड़ी
मोबाइल और टीवी पर दिखने वाले आकर्षक विज्ञापन बच्चों को जंक फूड की ओर तेजी से खींच रहे हैं। स्क्रीन के सामने बैठकर बिना भूख के खाने की आदत बच्चों को शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी कमजोर बना रही है। चिड़चिड़ापन, नींद की कमी, एकाग्रता में गिरावट और पढ़ाई से दूरी इसके गंभीर दुष्परिणाम हैं।
स्कूलों में सख्ती की तैयारी
जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी के.एस. रावत ने बताया कि बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए जल्द ही सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी किया जाएगा। इसके तहत स्कूल टिफिन में फास्ट फूड लाने पर रोक और बच्चों-अभिभावकों को स्वस्थ खान-पान के प्रति जागरूक किया जाएगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शिक्षाविदों का मानना है कि बच्चों को घर का पौष्टिक भोजन, फल-सब्जियां और पारंपरिक आहार अपनाने के लिए प्रेरित करना ही इस खतरे से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है।




