
देहरादून। अंकिता हत्याकांड से जुड़े वायरल वीडियो और ऑडियो को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम ने गंभीर प्रतिक्रिया देते हुए इसे सुनियोजित आपराधिक साजिश बताया है। वायरल वीडियो में उर्मिला सनावर द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद दुष्यंत गौतम ने सचिव गृह को पत्र भेजकर इस पूरे प्रकरण की जांच कराने और सोशल मीडिया व मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित की जा रही सामग्री पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया है।
गृह सचिव को भेजे गए पत्र में दुष्यंत गौतम ने कहा है कि वे देशभर में एक प्रतिष्ठित सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं तथा उन्हें यह जानकारी मिली है कि कुछ आपराधिक तत्वों द्वारा उनके खिलाफ जानबूझकर एक फर्जी और मनगढ़त ऑडियो रिकॉर्डिंग तैयार की गई है। इस रिकॉर्डिंग को योजनाबद्ध तरीके से मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है, जिससे उनकी सामाजिक और राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।
दुष्यंत गौतम ने पत्र में यह भी कहा है कि इस आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए घृणित, दुर्भावनापूर्ण और झूठी सामग्री लगातार फैलायी जा रही है, जो न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि समाज में भ्रम और अविश्वास पैदा करने का प्रयास भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह की सामग्री का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ उठाना प्रतीत होता है।
पत्र में दुष्यंत गौतम ने उर्मिला सनावर समेत कुल 28 फेसबुक आईडी, उनके ई-मेल पते और मोबाइल नंबरों का उल्लेख किया है। इसके अलावा नौ इंस्टाग्राम हैंडल, आठ यूट्यूब चैनल और दो एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल के नाम भी पत्र में शामिल किए गए हैं, जिनके माध्यम से यह सामग्री प्रसारित की जा रही है। उन्होंने बताया कि इन सभी अकाउंट्स से प्रसारित सामग्री को डाउनलोड कर पेन ड्राइव में संलग्न कर गृह सचिव को भेजा गया है।
दुष्यंत गौतम ने गृह सचिव से अनुरोध किया है कि संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और समाचार चैनलों को निर्देश दिए जाएं कि वे इस प्रकार की सामग्री को तुरंत हटाएं और भविष्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसके प्रसारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा और कानून व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
पूरे मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि गृह विभाग और जांच एजेंसियां इस प्रकरण में आगे क्या कदम उठाती हैं और आरोपों तथा प्रत्यारोपों की सच्चाई कैसे सामने आती है।





