
देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत की एक कथित एआई से तैयार की गई वीडियो रील के वायरल होने के बाद उत्तराखंड की सियासत गरमा गई है। इस रील को लेकर हरीश रावत ने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मंगलवार को उन्होंने समर्थकों के साथ प्रदर्शन किया और इसके बाद नेहरू कॉलोनी थाने पहुंचकर मामले में एफआईआर दर्ज कराने की मांग की।
हरीश रावत ने आरोप लगाया कि यह रील आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार की गई है और इसके जरिए उन्हें मुस्लिम तुष्टीकरण, देशद्रोह और पाकिस्तान को सूचनाएं देने जैसे गंभीर आरोपों में फंसाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से सुनियोजित राजनीतिक साजिश है, जिसका उद्देश्य उनकी छवि खराब करना और समाज में भ्रम फैलाना है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में भी भाजपा ने उनके खिलाफ झूठ फैलाया था कि उन्होंने जुमे की नमाज के लिए छुट्टी करवाने की बात कही है। इसी तरह 2022 में यह प्रचार किया गया कि कांग्रेस सत्ता में आने पर मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने जा रही है। अब एक बार फिर एआई तकनीक का सहारा लेकर पुराने झूठों को नए तरीके से परोसा जा रहा है।
हरीश रावत ने कहा कि उन्हें देशद्रोही बताया जा रहा है और पाकिस्तान से सांठगांठ जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं, जो बेहद गंभीर और निंदनीय हैं। उन्होंने कहा कि यह सब भाजपा के झूठे प्रचार तंत्र का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे प्राण भले ही गंवा दें, लेकिन भाजपा के झूठ का पर्दाफाश जरूर करेंगे और इस बार झूठ की राजनीति को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।
वायरल रील को लेकर हरीश रावत ने बताया कि इसमें उनके कथित बयान दिखाए गए हैं, जिनमें “मुस्लिम शरणम गच्छामि, मजार शरणम गच्छामि, लव जिहाद शरणम गच्छामि” जैसे शब्द जोड़े गए हैं। इसके बाद की तस्वीरों में मजार निर्माण और उत्तराखंड की देवभूमि को मजारों की भूमि में बदलने जैसे दृश्य दिखाए गए हैं। रील के अंत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पुलिस और बुलडोजर के साथ चलते हुए दिखाया गया है और कांग्रेस पर सत्ता के लालच में देवभूमि की पवित्रता से समझौता करने का आरोप लगाया गया है।
हरीश रावत ने कहा कि यह 29 सेकंड की रील पूरी तरह से भ्रामक है और समाज में नफरत फैलाने के उद्देश्य से बनाई गई है। उन्होंने पुलिस से मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और रील बनाने व प्रसारित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री के थाने पहुंचने और एफआईआर की मांग के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेताओं ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है, जबकि भाजपा की ओर से अभी इस मामले में आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।




