
देहरादून। उत्तरकाशी जनपद के बड़कोट क्षेत्र अंतर्गत मां यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव में स्थित 12 गांव गीठ पट्टी के आराध्य देव सोमेश्वर महाराज मंदिर के कपाट बुधवार को विधि-विधान और विशेष पूजा अर्चना के साथ बंद कर दिए गए। मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही अब आगामी चार माह तक भगवान सोमेश्वर महाराज की पूजा शीतकालीन परंपराओं के अनुसार संपन्न होगी और इसके बाद कपाट पुनः श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले जाएंगे।
कपाट बंद करने के अवसर पर पूरे क्षेत्र में धार्मिक और श्रद्धा का वातावरण बना रहा। विशेष पूजा-अर्चना के बाद जैसे ही मंदिर के कपाट बंद किए गए, श्रद्धालुओं ने भगवान सोमेश्वर महाराज से क्षेत्र की सुख-समृद्धि, शांति और कल्याण की कामना की। इस धार्मिक अनुष्ठान में 12 गांव गीठ पट्टी के ग्रामीणों के साथ-साथ बड़कोट क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। पारंपरिक वाद्य यंत्रों, मंत्रोच्चारण और धार्मिक रीति-रिवाजों के बीच कपाट बंद करने की प्रक्रिया संपन्न कराई गई।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार सोमेश्वर महाराज क्षेत्र के आराध्य देव हैं और वर्ष भर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों एवं उत्सवों के माध्यम से उनकी पूजा की जाती है। शीतकाल में अधिक ठंड और हिमपात की संभावनाओं के चलते हर वर्ष परंपरागत रूप से मंदिर के कपाट कुछ महीनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान देवता का शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव में ही माना जाता है और गांव स्तर पर पूजा-अर्चना एवं धार्मिक कार्यक्रम जारी रहते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि सोमेश्वर महाराज मंदिर क्षेत्र की आस्था और सांस्कृतिक पहचान का केंद्र है। कपाट बंद होने की यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, जिसमें पूरे क्षेत्र के लोग सामूहिक रूप से भाग लेते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के बाद भी श्रद्धालु खरसाली गांव पहुंचकर निर्धारित स्थल पर दर्शन और पूजा करते रहेंगे। चार माह बाद शुभ तिथि पर कपाट पुनः खोले जाएंगे, जिसके साथ ही धार्मिक गतिविधियों में फिर से तेजी आएगी।




