
नैनीताल | नैनीताल जिले में उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक उपभोक्ता को बिना किसी बिजली कनेक्शन के करीब दस वर्षों तक बिल भेजे जाते रहे। हैरानी की बात यह रही कि उपभोक्ता ने वर्ष 2016 में ही अपना बिजली कनेक्शन स्थायी रूप से कटवा दिया था और सभी देयकों का भुगतान कर औपचारिकताएं भी पूरी कर दी थीं, इसके बावजूद विभागीय रिकॉर्ड में कनेक्शन बंद ही नहीं किया गया।
मामला नैनीताल जिले के तहसील धारी क्षेत्र के ढोली गांव का है, जहां सिडकुल रुद्रपुर में कार्यरत विमल चंद्र लोहनी का पैतृक घर स्थित है। उनके नाम पर गांव में बिजली कनेक्शन दर्ज था, जिसे उन्होंने आठ अगस्त 2016 को यूपीसीएल के समक्ष आवेदन देकर स्थायी रूप से बंद करवाया। उपभोक्ता के अनुसार, उस समय सभी बकाया बिलों का भुगतान कर दिया गया था और विभागीय स्तर पर आवश्यक प्रक्रिया भी पूरी की गई थी।
इसके बावजूद यूपीसीएल की ओर से रिकॉर्ड में कनेक्शन को चालू दिखाया जाता रहा और हर वर्ष बिजली बिल जनरेट होते रहे। उपभोक्ता को इस लापरवाही की भनक तब लगी, जब बिजली बिल बकाया दिखाते हुए राजस्व विभाग की ओर से वसूली के लिए आरसी जारी कर दी गई। 14 नवंबर को तहसील धारी से विमल चंद्र को सूचना दी गई कि उन पर 8,500 रुपये का बिजली बिल बकाया है, साथ ही इसकी वसूली के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त राशि भी तहसील में जमा करनी होगी।
अचानक सामने आई इस सूचना से उपभोक्ता सकते में आ गए। बिना कनेक्शन के बिल और फिर राजस्व वसूली की कार्रवाई ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर दिया। इसके बाद उन्होंने काठगोदाम स्थित हाइडिल परिसर में विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच में पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत पर सुनवाई के बाद नौ दिसंबर को मंच के सदस्य (न्यायिक) विष्णु प्रसाद डोभाल, तकनीकी सदस्य तिलकराज भाटिया और उपभोक्ता सदस्य हिमांशु बहुगुणा ने मामले में उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। मंच ने स्पष्ट किया कि जब कनेक्शन स्थायी रूप से बंद किया जा चुका था, तो उसके बाद बिल जारी करना विभागीय लापरवाही है। मंच के निर्देश के बाद यूपीसीएल भीमताल इकाई ने संबंधित बिल को खारिज कर दिया।
यह मामला न केवल उपभोक्ताओं की परेशानी को उजागर करता है, बल्कि यूपीसीएल की रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली और आंतरिक निगरानी पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते उपभोक्ता जागरूक न होता, तो उसे बिना गलती के राजस्व वसूली का सामना करना पड़ सकता था। यह घटना अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी सतर्क रहने और अपने कनेक्शन से जुड़े दस्तावेज सुरक्षित रखने की एक अहम सीख है।




