
देहरादून। पौड़ी गढ़वाल वन प्रभाग के छह रेंजों में बीते पांच वर्षों के भीतर गुलदार के हमलों ने भयावह रूप ले लिया है। इस अवधि में गुलदार ने 27 लोगों की जान ले ली, जबकि 105 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। विभागीय आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 सबसे घातक रहा, जिसमें सात लोगों की मौत हुई, जबकि 2021 में सबसे अधिक 25 लोग घायल हुए। इसके उलट वर्ष 2023 में ऐसी सबसे कम घटनाएं दर्ज की गईं और केवल एक व्यक्ति की मृत्यु हुई।
इस वर्ष भी स्थिति चिंताजनक है। पौड़ी रेंज नागदेव, पोखड़ा, पश्चिमी अमेली दमदेवल, पूर्वी अमेली थलीसैंण, दीवा रेंज धुमाकोट और पैठाणी रेंज में गुलदार हमलों में पांच लोगों की मौत और 25 घायल हुए। पहली घटना दो जून को पूर्वी अमेली रेंज में हुई थी। इसके बाद 12 और 13 सितंबर को पोखड़ा रेंज में दो मौतें, जबकि 20 नवंबर और 4 दिसंबर को पौड़ी रेंज में दो अन्य मौतें दर्ज की गईं।
वन विभाग कर्मचारियों की भारी कमी से भी जूझ रहा है। छह रेंजों में डिप्टी रेंजर के 12 स्वीकृत पदों में से केवल तीन पर ही तैनाती है। पौड़ी, पैठाणी, पश्चिमी अमेली और दीवा रेंज में एक भी डिप्टी रेंजर नियुक्त नहीं है। वन दरोगा के 54 पदों के मुकाबले 36 और आरक्षी के 89 पदों में से 72 ही कार्यरत हैं, जिससे गश्त, निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया प्रभावित हो रही है।
गुलदार प्रभावित गजल्ड, कोटी और डोभाल ढांडरी क्षेत्रों में विभाग ने चार शूटर तैनात किए हैं, जिनमें गजल्ड में दो और शेष स्थानों पर एक-एक शूटर मौजूद है। हालांकि स्थानीय वन अधिकारियों के अनुसार गुलदार बार-बार दिख रहा है, पर शूटरों की रेंज में नहीं आ पा रहा। प्रभावित क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने, जागरूकता अभियान चलाने और प्रशासन से अतिरिक्त 15 कर्मियों की मांग की गई है। इसके अलावा ग्रामीणों में से ही 15-15 लोगों को मानदेय पर गश्त में शामिल करने की तैयारी जारी है।
मानव–वन्यजीव संघर्ष कम करने के लिए प्रमुख सचिव वन आर.के. सुधांशु ने सभी विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्देश दिए हैं। प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) रंजन कुमार मिश्र ने गजल्ड गांव में दो निजी शूटर तैनात करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही ग्रामीणों को ‘क्या करें–क्या न करें’ संबंधी जानकारी देने, सोशल मीडिया और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से सूचनाएं साझा करने तथा झाड़ी कटान कार्य को तेज करने के निर्देश भी दिए गए हैं। जिला मजिस्ट्रेट स्वाति एस. भदौरिया ने बताया कि प्रभावित गांवों में पशुपालकों को नियमित चारा मुहैया कराया जा रहा है और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय तथा आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में भी परिवर्तन किया गया है।
इसी बीच, थराली के त्रिकोट गांव से लापता आशा कार्यकर्ता हेमा देवी का तीसरे दिन भी कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस, वन विभाग और स्थानीय ग्रामीण जंगलों में लगातार सर्च अभियान चला रहे हैं। शुरुआती आशंका जंगली जानवर के हमले की लगाई गई थी, पर वन अधिकारियों का कहना है कि घटनास्थल पर ऐसे कोई निशान नहीं मिले जो किसी जानवर द्वारा हमला या घसीटने की पुष्टि करें। महिला के मोबाइल की सीडीआर जांच के लिए भेजी गई है और ड्रोन कैमरों से भी खोज जारी है।
उधर रुद्रप्रयाग जिले में गुलदार, भालू और अन्य जंगली जानवरों की बढ़ती सक्रियता के चलते जिला प्रशासन ने छात्रों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 28 गांवों के 200 छात्र-छात्राओं के लिए 13 निशुल्क वाहनों की व्यवस्था शुरू की गई है। ये वाहन उन मार्गों पर चलाए जा रहे हैं जहाँ बच्चों को स्कूल पहुँचने के लिए जंगलों या झाड़ियों से होकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि स्थिति सामान्य होने तक यह सुविधा जारी रहेगी। यह कदम अभिभावकों की बढ़ती चिंता को देखते हुए उठाया गया है, ताकि बच्चे सुरक्षित वातावरण में अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रख सकें।




