
देहरादून। उत्तराखंड भाजपा संगठन में लंबित पड़ी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इसी महीने भारतीय जनता पार्टी के सभी मोर्चों के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पूरी कर ली जाएगी। साथ ही, पार्टी के मोर्चों के प्रदेश पदाधिकारियों के नामों की भी घोषणा होने की संभावना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व इस बार संगठन को नई ऊर्जा और संतुलित प्रतिनिधित्व देने पर विशेष ध्यान दे रहा है।
भाजपा के छह प्रमुख मोर्चे — भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो), महिला मोर्चा, अनुसूचित जाति मोर्चा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा, किसान मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा — पहले से गठित हैं, परंतु इनके प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा के बाद अब तक पूरी टीम नहीं बन पाई है। पार्टी संगठन के अंदरूनी ढांचे में इन मोर्चों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यही संगठन का आधारभूत ढांचा तैयार करते हैं, जो बूथ स्तर तक पार्टी की नीतियों को पहुंचाने का कार्य करते हैं।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के 19 संगठनात्मक जिलों में अब तक मोर्चों के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो पाई थी। पार्टी का ध्यान हाल के महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर केंद्रित था। राज्य संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और प्रभारी बिहार चुनाव में सक्रिय रूप से शामिल रहे, जिससे उत्तराखंड में संगठनात्मक विस्तार की प्रक्रिया थोड़ी देर से चल रही थी। अब जैसे ही बिहार चुनाव संपन्न होने की ओर है, सभी वरिष्ठ नेता वापस लौट रहे हैं और प्रदेश संगठन ने अगले चरण की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
प्रदेश स्तर पर अब सभी मोर्चों के जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि इस बार चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और संगठनात्मक योग्यता को प्राथमिकता दी जाएगी। जिलों से नामों का प्रस्ताव प्राप्त कर उन्हें प्रदेश नेतृत्व को भेजा जाएगा, जिसके बाद अंतिम निर्णय पर मुहर लगेगी।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री तरुण बंसल ने बताया कि “मोर्चों के जिला अध्यक्षों के चयन और प्रदेश पदाधिकारियों के गठन की प्रक्रिया को इसी माह में पूरा करने की योजना है। प्रदेश नेतृत्व इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है, ताकि संगठनात्मक ढांचा पूर्ण रूप से सक्रिय हो सके।” उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के हर मोर्चे को आगामी स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, इसलिए इन नियुक्तियों को अब और लंबित नहीं रखा जाएगा।
भाजपा के भीतर यह भी माना जा रहा है कि नए जिलाध्यक्षों की तैनाती से संगठन में नई स्फूर्ति आएगी और आगामी चुनावी तैयारियों को गति मिलेगी। पार्टी का लक्ष्य है कि दिसंबर तक सभी मोर्चों की जिला एवं प्रदेश स्तरीय टीमें पूर्ण रूप से सक्रिय हो जाएं, ताकि 2026 के लिए प्रस्तावित संगठनात्मक अभियान को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा इस बार अपने मोर्चों में क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश करेगी। खासतौर पर महिला और युवा मोर्चों में नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा सकती है, जिससे पार्टी का जमीनी नेटवर्क और मजबूत हो।
फिलहाल, भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच इस घोषणा को लेकर उत्सुकता का माहौल है। जिलों में कई सक्रिय कार्यकर्ता और संगठन के पुराने चेहरे पदों की दौड़ में शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चयन पूरी तरह योग्यता, सक्रियता और संगठन के प्रति समर्पण को देखते हुए किया जाएगा।
इस प्रक्रिया के पूरा होते ही भाजपा का प्रदेश संगठन पूरी तरह क्रियाशील स्थिति में आ जाएगा, जिससे पार्टी की भविष्य की चुनावी रणनीति को और बल मिलेगा।




