
कालाढूंगी। पंजाब से नैनीताल घूमने आए स्कूली बच्चों का सफर सोमवार को उस समय मौत की यात्रा बन सकता था, जब बस चालक ने शराब के नशे में नियंत्रण खोते हुए सड़क पर तेज रफ्तार में बस दौड़ाई। गनीमत रही कि परिवहन विभाग की तत्परता और एआरटीओ की सूझबूझ से एक बड़ा हादसा टल गया। जांच के बाद बस को सीज कर चालक का चालान किया गया और बच्चों को सुरक्षित उनके होटल पहुंचाया गया।
सोमवार सुबह हल्द्वानी के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी जितेंद्र सांगवान अपनी टीम के साथ कालाढूंगी–नैनीताल मार्ग पर नियमित वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान बैलपड़ाव की दिशा से आती एक बस ने टीम को रोकने के संकेत के बावजूद रफ्तार बढ़ा दी। बस का रवैया संदिग्ध लगने पर एआरटीओ ने तुरंत पीछा शुरू किया और साथ ही कालाढूंगी पुलिस को सूचना दी। कुछ किलोमीटर तक पीछा करने के बाद बस को नयागांव के पास रोक लिया गया।
जांच में पता चला कि बस (नंबर एचआर 37डी-9675) में पंजाब के मानसा जिले से आए 45 स्कूली बच्चे और उनके शिक्षक सवार थे। चालक कुलदीप, निवासी पटियाला, शराब के नशे में पाया गया। एल्कोमीटर जांच में उसके रक्त में 550 एमएल/100एमजी एल्कोहल की मात्रा पाई गई, जबकि नियमों के अनुसार 30 एमएल से अधिक होने पर चालान की कार्रवाई होती है। यह स्पष्ट था कि चालक ने अत्यधिक शराब पी रखी थी और इस हालत में बस चला रहा था।
बस के कागजात भी अधूरे मिले। फिटनेस सर्टिफिकेट समाप्त था और हरियाणा नंबर की इस बस का टैक्स भी जमा नहीं किया गया था। एआरटीओ जितेंद्र सांगवान ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बस को कालाढूंगी कोतवाली लाकर खड़ा कराया और चालक का चालान किया। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें विभागीय वाहन से उनके बुक किए हुए होटल बैलपड़ाव तक पहुंचाया गया। इस दौरान एएसआई अरविंद ह्यांकी, चालक महेंद्र सहित पूरी परिवहन टीम मौजूद रही।
एआरटीओ सांगवान ने बताया कि आरोपी चालक इतनी अधिक मात्रा में नशे में था कि उसे पकड़ने से लेकर थाने तक पहुंचाने में साढ़े तीन घंटे लग गए। इस बीच बच्चों और शिक्षकों को टीम लगातार दिलासा देती रही। बच्चे सहमे हुए थे, जबकि शिक्षक पूरी तरह घबराए हुए थे। सांगवान ने कहा कि “यदि बस को समय रहते न रोका जाता तो यह एक भयावह हादसे में बदल सकता था।”
मामले में चालक का ड्राइविंग लाइसेंस छह माह के लिए निलंबित कर दिया गया है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 184 के तहत नशे में वाहन चलाने पर छह माह की कैद और दस हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
इस पूरी घटना ने परिवहन व्यवस्था और स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस तरह से नशे में धुत चालक सैकड़ों किलोमीटर बस चलाकर यहां तक पहुंच गया, यह न केवल प्रशासनिक निगरानी की कमी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि यदि एआरटीओ की टीम सतर्क न होती तो आज यह खबर किसी बड़े शोक की कहानी बन जाती।




