
मुरादाबाद | मुरादाबाद में आठवीं कक्षा में दाखिला देने से पहले 13 वर्षीय छात्रा से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट (कौमार्य प्रमाणपत्र) मांगने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। अब पुलिस जांच में मदरसे में विदेशी फंडिंग के संकेत मिलने से मामला और गंभीर हो गया है। पुलिस ने इस संबंध में शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक विभाग, जिला प्रशासन और बाल कल्याण समिति को रिपोर्ट भेजकर विस्तृत जांच की सिफारिश की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, पाकबड़ा क्षेत्र के लोधीपुर राजपूत स्थित मदरसा जामिया एहसान-उल-बनात में दो दिनों से लगातार जांच की जा रही है। जांच के दौरान पुलिस को कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनसे यह आशंका गहराई है कि मदरसे को विदेशी स्रोतों से आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही है। इन दस्तावेजों की सत्यता की जांच के लिए पुलिस ने संबंधित विभागों से सहयोग मांगा है। सूत्रों का कहना है कि मदरसे से जुड़े बैंक खातों की बारीकी से पड़ताल की जाएगी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि धन किस स्रोत से आया और उसका उपयोग कहां हुआ।
एक ही परिसर में मदरसा बोर्ड और यूपी बोर्ड की कक्षाएं
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि जामिया एहसान-उल-बनात परिसर में एक ही जगह मदरसा बोर्ड और यूपी बोर्ड दोनों की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। यहां कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक की छात्राएं पढ़ती हैं। जांच में छात्रावास से लेकर कक्षाओं तक कई व्यवस्थागत खामियां मिली हैं। कई छात्राओं का रिकॉर्ड अधूरा पाया गया। अधिकारियों ने बताया कि बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित कई राज्यों की छात्राएं यहां अध्ययनरत हैं, जिनमें से कई की पृष्ठभूमि की भी जांच कराई जा रही है।
वर्जिनिटी सर्टिफिकेट मांगने के आरोपी को जेल भेजा गया
इस पूरे प्रकरण के मुख्य आरोपी, एडमिशन सेल प्रभारी मोहम्मद शाहजहां को शनिवार को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। इस मामले में प्रधानाचार्य रहनुमा और कुछ अन्य स्टाफ सदस्यों की तलाश जारी है। पुलिस के अनुसार, आरोपी से पूछताछ में कई अहम सुराग मिले हैं, जिनके आधार पर आगे की जांच की जा रही है।
पीड़िता के पिता ने लगाया गंभीर आरोप
चंडीगढ़ के मनीमाजरा निवासी एक व्यक्ति ने पाकबड़ा थाने में दर्ज कराई शिकायत में बताया कि उनकी 13 वर्षीय बेटी वर्ष 2024 में कक्षा सात में इसी मदरसे में पढ़ती थी। इस बार जब वह कक्षा आठ में दाखिले के लिए गई, तो प्रधानाचार्य और एडमिशन प्रभारी ने पहले ₹35,000 जमा कराने के बाद वर्जिनिटी सर्टिफिकेट की मांग की। शिकायत के अनुसार, जब परिवार ने मेडिकल रिपोर्ट देने से इनकार किया तो मदरसा स्टाफ ने न केवल छात्रा और उसकी मां के साथ अभद्रता की, बल्कि उन्हें धक्के देकर बाहर निकाल दिया गया।
पुलिस और प्रशासन ने बढ़ाई सख्ती
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने कई विभागों को जांच में शामिल कर लिया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, मदरसे में दो घंटे से अधिक समय तक चली जांच के दौरान कई ऐसे बिंदु सामने आए हैं जिन पर विस्तृत पूछताछ जरूरी है। एसपी सिटी कुमार रण विजय सिंह ने बताया कि “मामले की गहनता से जांच की जा रही है। विदेशी फंडिंग और संदिग्ध दस्तावेजों के पहलू पर भी जांच टीम कार्य कर रही है। सभी संबंधित विभागों को सहयोग के लिए पत्र भेजा गया है।”
धार्मिक संस्थानों की पारदर्शिता पर उठे सवाल
मदरसे में विदेशी फंडिंग के शक और छात्रा से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट मांगने की घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया है। स्थानीय लोग और समाजसेवी संगठनों ने इसे शिक्षा के क्षेत्र में “घोर अमानवीयता” बताया है। मामले के राजनीतिक आयाम भी सामने आने लगे हैं। स्थानीय सांसद ने कहा है कि “अगर विदेशी फंडिंग के सबूत मिलते हैं तो केंद्र सरकार से जांच एजेंसी द्वारा कार्रवाई कराई जाएगी। किसी भी धार्मिक संस्था को कानून से ऊपर नहीं माना जा सकता।”
आगे की कार्रवाई
मदरसे के खातों की जांच के साथ ही बाल कल्याण समिति और अल्पसंख्यक विभाग अपने-अपने स्तर पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। आगामी सप्ताह में इन रिपोर्टों को गृह विभाग को भेजा जाएगा। फिलहाल आरोपी जेल में है और मुख्य संचालकों की तलाश जारी है। पुलिस का कहना है कि जांच पूरी होने पर पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जाएगा।






