
हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उम्मीद थी कि कुमाऊं की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले हल्द्वानी का विकास तेज़ी से होगा। लेकिन राज्य गठन के 24 साल बाद भी शहर की पांच प्रमुख योजनाएं अधूरी पड़ी हैं। अब जबकि विधानसभा चुनाव में केवल 16 महीने बचे हैं, सवाल उठ रहा है—क्या इन योजनाओं का सपना इस कार्यकाल में साकार हो पाएगा, या फिर अगली सरकार इनकी नई कहानी लिखेगी?
1️⃣ रिंग रोड योजना
अप्रैल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी के बाहर रिंग रोड बनाने की घोषणा की थी। प्रारंभिक लागत 600 करोड़ रुपये रखी गई थी। भाखड़ा से कमलुवागांजा होते हुए बेलबाला मंदिर के पास रामपुर रोड हाईवे तक इसे जोड़ना था। लेकिन राजनीतिक असहमति और ज़मीन चयन विवाद के कारण यह योजना अब तक फाइलों में ही उलझी हुई है। रिंग रोड बनने से शहर को जाम से राहत मिलने की उम्मीद थी।
2️⃣ रानीबाग-नैनीताल रोपवे
2018 में नैनीताल में वाहनों का दबाव कम करने के लिए पर्यटन विकास परिषद और कुमाऊं मंडल विकास निगम ने रानीबाग से नैनीताल तक रोपवे की योजना बनाई थी। लगभग 15 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट की लागत 500 करोड़ रुपये आंकी गई थी। रानीबाग, डोलमार, ज्योलीकोट और हनुमानगढ़ी में स्टेशन प्रस्तावित थे। कई सर्वे और हाईकोर्ट निर्देशों के बावजूद परियोजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर सकी है।
3️⃣ गौलापार चिड़ियाघर
2015 में गौलापार क्षेत्र में चिड़ियाघर की स्थापना को सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी। इसके लिए 412 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को दी गई थी और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमति भी मिल गई थी। योजना में वन्यजीव अस्पताल, बाड़े और ब्रीडिंग सेंटर शामिल थे। लेकिन विभाग अब तक डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) भी नहीं बना पाया है।
4️⃣ आईएसबीटी (अंतरराज्यीय बस टर्मिनल)
2014 में गौलापार में आईएसबीटी को स्वीकृति मिली और 2016 में आधारशिला रखी गई। लेकिन अगले ही साल निर्माण स्थल पर मानव कंकाल मिलने के बाद काम रुक गया। बाद में इसे ओपन यूनिवर्सिटी के पास स्थानांतरित करने की योजना बनी, पर निर्माण आज तक शुरू नहीं हुआ। नतीजा यह कि शहर के बीचोंबीच पुराना बस अड्डा अब भी ट्रैफिक जाम की बड़ी वजह बना हुआ है।
5️⃣ नमो भवन
तहसील के पुराने भवन और आस-पास के सरकारी ढांचों को हटाकर नमो भवन के निर्माण की योजना है। इसमें मल्टीस्टोरी पार्किंग के साथ सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम, तहसीलदार, कोषागार और जिला विकास प्राधिकरण जैसे दफ्तरों को एक परिसर में लाने का प्रस्ताव है। 350 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत होने के बावजूद निर्माण की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
जिलाधिकारी नैनीताल ललित मोहन रयाल ने कहा है कि जनहित से जुड़ी सभी विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी। रिंग रोड, रोपवे, चिड़ियाघर, आईएसबीटी और नमो भवन जैसे प्रोजेक्ट्स पर विभागों से विस्तृत अपडेट मांगा जाएगा ताकि अड़चनों को दूर कर योजनाओं को गति दी जा सके।




