
देहरादून | राज्य की हवा अब साफ नहीं रही। अक्टूबर के मध्य तक जहाँ देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘संतोषजनक’ श्रेणी में बना हुआ था, वहीं अब यह ‘मध्यम’ स्तर तक पहुँच चुका है। ऋषिकेश, हरिद्वार और काशीपुर जैसे शहरों में भी वायु गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है। बढ़ते प्रदूषण के मद्देनज़र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) ने एक नया कदम उठाते हुए ड्रोन के माध्यम से जल छिड़काव अभियान शुरू किया है, ताकि धूल और धुंध के स्तर को कम किया जा सके।
तीन शहरों में ड्रोन से सफाई का प्रयोग
रविवार को PCB की टीम ने देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में कुल 17 स्थानों पर ड्रोन द्वारा पानी का छिड़काव किया।
- देहरादून में घंटाघर, पलटन बाजार, सर्वे चौक, रायपुर रोड, आईएसबीटी, बालावाला और प्रेमनगर सहित नौ प्रमुख स्थानों को चुना गया।
- ऋषिकेश में रेलवे स्टेशन और त्रिवेणी घाट क्षेत्र में एक ड्रोन से जल छिड़काव किया गया।
- काशीपुर में औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास हवा में उठती धूल को शांत करने के लिए विशेष अभियान चलाया गया।
PCB के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि, “इस बार हमने पिछले वर्ष की तुलना में अधिक व्यापक स्तर पर ड्रोन का प्रयोग किया है। जहाँ 2024 में केवल देहरादून में प्रयोग किया गया था, वहीं अब इसे प्रदेश के अन्य औद्योगिक और धार्मिक शहरों तक बढ़ाया गया है।”
क्यों बिगड़ रही है हवा की गुणवत्ता
पिछले कुछ दिनों में प्रदेश में तापमान में गिरावट और हवा की गति में कमी आने से प्रदूषक तत्व वायुमंडल में स्थिर होने लगे हैं। निर्माण कार्यों से उड़ती धूल, वाहनों से निकलता धुआँ और आसपास के राज्यों से आ रही पराली जलाने की धुंध ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि देहरादून की भौगोलिक स्थिति, जो चारों ओर से पहाड़ियों से घिरी है, प्रदूषण को शहर के भीतर फँसा देती है। परिणामस्वरूप, हवा की प्राकृतिक शुद्धिकरण क्षमता घट जाती है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट
- देहरादून: पाँच दिन पहले तक AQI ‘संतोषजनक’ (50–100) था, अब यह ‘मध्यम’ (101–200) श्रेणी में पहुँच गया है।
- काशीपुर: 17 अक्तूबर को ‘संतोषजनक’ था, पर 18 अक्तूबर को ‘मध्यम’ दर्ज हुआ।
- हरिद्वार, ऋषिकेश और रुद्रपुर में भी क्रमशः AQI स्तर में 20–30 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
ड्रोन छिड़काव कैसे करता है काम
ड्रोन में उच्च-दाब नोज़ल लगे होते हैं जो बारीक फुहार के रूप में पानी छिड़कते हैं। इससे हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5 और PM 10) नीचे बैठने लगता है, जिससे वायु में धूलकणों की मात्रा अस्थायी रूप से घटती है। यह प्रक्रिया फिलहाल प्रदूषण को “कम करने” के बजाय “नियंत्रित” करने के उपाय के रूप में देखी जा रही है।
आगे की योजना और चुनौतियाँ
PCB ने संकेत दिए हैं कि यदि अगले सप्ताह तक वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं होता है, तो ड्रोन जल छिड़काव को रोज़ाना नियमित रूप से किया जाएगा। इसके अलावा, नगर निगम और स्मार्ट सिटी लिमिटेड को भी सड़क सफाई, वॉटर स्प्रिंकलर और निर्माण स्थलों पर कवरिंग अनिवार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि केवल पानी के छिड़काव से दीर्घकालिक समाधान नहीं मिलेगा। वाहन प्रदूषण नियंत्रण, स्मॉग-गन की स्थापना, और ग्रीन बेल्ट विस्तार जैसे उपायों को समानांतर रूप से अपनाना होगा।
स्थानीय निवासियों की चिंता
राजधानी के व्यस्त इलाकों में रहने वाले नागरिकों ने भी प्रदूषण के असर को महसूस करना शुरू कर दिया है। कई लोगों ने आँखों में जलन, गले में खराश और साँस लेने में तकलीफ़ जैसी शिकायतें दर्ज कराई हैं।
राजपुर रोड निवासी सीमा शर्मा कहती हैं, “सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकलना मुश्किल हो गया है। हवा भारी लगती है, जैसे साँस में धूल घुली हो।”
देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में ड्रोन जल छिड़काव अभियान राज्य के लिए एक तकनीकी प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है। इससे प्रदूषण पर कुछ हद तक अंकुश लग सकता है, लेकिन पर्यावरणविदों के अनुसार, यह अस्थायी राहत मात्र है। जब तक वाहनों, निर्माण कार्यों और औद्योगिक प्रदूषण पर ठोस नियंत्रण नहीं होता, तब तक शहरों की हवा में सुधार की उम्मीद सीमित रहेगी।




