
नई दिल्ली | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें आतंकवाद, घुसपैठ, सूचना युद्ध और आतंक वित्तपोषण जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, आईबी निदेशक तपन डेका, जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात और अर्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक का मूल उद्देश्य था — घाटी में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों, सीमापार घुसपैठ की कोशिशों, और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए ठोस रणनीति बनाना।
🔹 आतंक वित्तपोषण और नशे के कारोबार पर सख्त कार्रवाई
पिछले कुछ महीनों से Pir Panjal क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों के फिर से सिर उठाने को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अब लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) के बीच संभावित गठजोड़ की कोशिश कर रहे हैं।
इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने साफ निर्देश दिया कि आतंक के फंडिंग नेटवर्क — चाहे वह हवाला चैनल, नशीले पदार्थों का कारोबार या गैरकानूनी आर्थिक गतिविधियाँ हों — उन पर तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाए। शाह ने कहा कि आतंक की रीढ़ पैसे का प्रवाह है, और जब तक उस पर चोट नहीं की जाएगी, आतंक पूरी तरह खत्म नहीं हो सकता।
🔹 सूचना युद्ध पर भी सख्ती — “नई लड़ाई दिमागों की है”
बैठक में एक अहम मुद्दा यह भी उठा कि आतंकवाद अब केवल बंदूक की लड़ाई नहीं रहा, बल्कि “सूचना युद्ध” (Information Warfare) का रूप ले चुका है। सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ तत्व भारत-विरोधी प्रोपेगैंडा फैलाकर स्थानीय युवाओं को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।
इस पर अमित शाह ने कहा कि इस लड़ाई में तथ्य, पारदर्शिता और विश्वसनीय सूचना ही सबसे बड़ा हथियार हैं। उन्होंने एजेंसियों को निर्देश दिया कि नकारात्मक प्रचार का तुरंत प्रतिकार किया जाए और जनता के सामने वास्तविक स्थिति रखी जाए, ताकि भ्रम और दुष्प्रचार की गुंजाइश न बचे।
🔹 शून्य घुसपैठ का लक्ष्य और सीमा सुरक्षा सख्त
बैठक में “Zero Infiltration” यानी शून्य घुसपैठ के लक्ष्य को दोहराया गया। केंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि सीमाओं की निगरानी में किसी भी स्तर की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुरक्षा एजेंसियों को सीमा पर तकनीकी निगरानी, ड्रोन सर्विलांस, और रात में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। पाकिस्तान की ओर से चल रही सीमापार आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए BSF, सेना और स्थानीय पुलिस के बीच रीयल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा।
🔹 विकास और सुरक्षा — दो पूरक स्तंभ
अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि जम्मू-कश्मीर को अब केवल “सुरक्षा दृष्टि” से नहीं, बल्कि “दीर्घकालिक शांति और विकास” की दृष्टि से देखा जा रहा है।
बैठक में सड़क, शिक्षा, रोजगार और पर्यटन से जुड़ी परियोजनाओं की भी समीक्षा की गई। केंद्र का मानना है कि विकास और सुरक्षा दोनों साथ-साथ चलेंगे — एक रुक गया तो दूसरा भी टिक नहीं पाएगा।
इससे यह संदेश गया कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति और स्थायित्व के लिए सुरक्षा और विकास को समान प्राथमिकता दे रही है।
🔹 पहलगाम हमले के बाद कड़ा रुख
अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जिस त्वरित कार्रवाई से आतंकियों को ढेर किया, उसने यह साफ कर दिया कि अब केंद्र की नीति केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पूर्ण उन्मूलन की है।
शाह ने एजेंसियों को बेहतर तालमेल और सूचना-साझेदारी को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, “सुरक्षा रणनीति तभी प्रभावी होती है जब सभी एजेंसियां एक साथ, एक दिशा में काम करें।”
🔹 “आतंक पर कठोरता, विकास पर निरंतरता” — यही नीति
अमित शाह की बैठक ने यह साफ कर दिया कि सरकार की मौजूदा नीति दो स्तंभों पर टिकी है —
- आतंक पर कठोरता: किसी भी रूप में आतंकवाद बर्दाश्त नहीं।
- विकास पर निरंतरता: सामान्य जीवन और रोजगार गतिविधियों को बिना बाधा जारी रखना।
शाह ने कहा कि घाटी में भय-मुक्त वातावरण बनाना केंद्र की सर्वोच्च प्राथमिकता है, ताकि लोग आतंक की छाया से बाहर निकलकर सामान्य जीवन जी सकें।