
हरिद्वार। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे की अस्पष्ट स्थिति एक बार फिर विवाद का कारण बन गई है। इस बार मुद्दा गंगनहर किनारे घाट निर्माण को लेकर उठा है। उत्तराखंड सरकार ने अर्द्ध कुंभ 2027 की तैयारियों के तहत कई निर्माण कार्यों को मंजूरी दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने इन कार्यों पर आपत्ति जताई है। स्थिति ऐसी बन गई है कि दोनों राज्यों के सिंचाई विभाग अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं और प्रशासन को आशंका है कि निर्माण कार्य शुरू होते ही टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
उत्तराखंड ने मांगा पुलिस बल
उत्तराखंड सिंचाई विभाग की हरिद्वार शाखा के अधिशासी अभियंता ओमजी गुप्ता ने इस बाबत जिलाधिकारी हरिद्वार मयूर दीक्षित को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि प्रस्तावित घाट निर्माण कार्यों के दौरान उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से व्यवधान उत्पन्न किए जाने की आशंका है। लिहाजा घाट निर्माण को सुचारू रूप से पूरा कराने के लिए पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराया जाए।
अर्द्ध कुंभ की तैयारियों से जुड़ा मामला
अधिशासी अभियंता ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि अर्द्ध कुंभ 2027 की तैयारियों के अंतर्गत कई योजनाओं को मंजूरी मिली है। इन योजनाओं में गंगनहर और उससे जुड़े चैनलों के किनारे घाटों का निर्माण कार्य भी शामिल है। चूंकि वार्षिक नहर बंदी केवल सीमित अवधि के लिए होती है, ऐसे में निर्माण कार्य समय पर शुरू करना अनिवार्य है। इस बार नहर बंदी दो अक्तूबर की मध्य रात्रि से शुरू हो चुकी है। इसलिए घाट निर्माण का काम प्राथमिकता पर अपर गंगा कैनाल और स्केप चैनल पर किया जाना है।
यूपी की आपत्तियों से अटकी तैयारी
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का तर्क है कि परिसंपत्तियों के बंटवारे की स्थिति अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है। ऐसे में घाट निर्माण कार्यों पर रोक लगनी चाहिए। जबकि उत्तराखंड का कहना है कि अर्द्ध कुंभ की तैयारियों को देखते हुए यह काम बेहद जरूरी है और इसमें किसी तरह की देरी नहीं की जा सकती।
विवाद का पुराना इतिहास
यूपी और उत्तराखंड के बीच गंगनहर की परिसंपत्तियों और अधिकारों को लेकर लंबे समय से खींचतान चली आ रही है। राज्य गठन के बाद से कई बार यह मुद्दा उठ चुका है, लेकिन परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर स्पष्ट नीति न होने के कारण समय-समय पर ऐसे विवाद खड़े हो जाते हैं।
प्रशासन की चुनौती
अब जबकि अर्द्ध कुंभ 2027 में केवल दो साल का समय शेष रह गया है, ऐसे विवाद सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अगर समय रहते समस्या का समाधान नहीं किया गया तो न केवल निर्माण कार्य प्रभावित होंगे बल्कि अर्द्ध कुंभ की तैयारियों पर भी सीधा असर पड़ेगा।
गंगनहर के किनारे घाट निर्माण का मामला फिलहाल विवादों में उलझा हुआ है। उत्तराखंड की ओर से सुरक्षा बल की मांग और यूपी सिंचाई विभाग की आपत्तियां इस बात का संकेत हैं कि आने वाले दिनों में यह टकराव और गहरा सकता है। ऐसे में दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे पर कोई ठोस और अंतिम समाधान निकालना बेहद जरूरी हो गया है।