
मसूरी | मसूरी शहर में शुक्रवार को मौसम साफ होने के बावजूद टिहरी बाईपास (फर क्लब क्षेत्र) के पास बड़ा भूस्खलन हो गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस दौरान इलाके में बारिश तक नहीं हुई थी। अचानक हुए भूस्खलन से पूरे क्षेत्र में धूल का गुबार फैल गया और बिजली-पानी की लाइनों को गंभीर नुकसान पहुंचा। स्थानीय निवासी सावन कनौजिया और आशीष कनौजिया ने बताया कि धूल इतनी घनी हो गई कि सांस लेना मुश्किल हो गया। वहीं, पानी की सप्लाई बाधित होने से क्षेत्र में पेयजल संकट खड़ा हो गया है।
बिजली आपूर्ति ठप, हजारों लोग अंधेरे में
भूस्खलन की चपेट में आकर करीब आधा किलोमीटर तक बिजली की लाइनें क्षतिग्रस्त हो गईं। इससे बुरांशखंडा और सुवाखोली क्षेत्र के लगभग एक हजार उपभोक्ता अंधेरे में डूब गए। ऊर्जा निगम के एसडीओ पंकज थपलियाल ने बताया कि 11 केवी की लाइन पूरी तरह से टूट गई है। निगम की टीम मौके पर पहुंच चुकी है और मरम्मत कार्य तेजी से जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द आपूर्ति बहाल की जाएगी। बिजली के साथ ही पेयजल की लाइनें भी दरकने से कई इलाकों में पानी की किल्लत शुरू हो गई है। पहले से सीमित आपूर्ति पर निर्भर उपभोक्ताओं को अब गंभीर परेशानी झेलनी पड़ रही है।
भूस्खलन की वजह पर सवाल
विशेषज्ञों का मानना है कि मसूरी और आसपास के पहाड़ियों पर लगातार हो रहे निर्माण कार्य, सड़क चौड़ीकरण और ढलानों की अस्थिरता ही ऐसे भूस्खलनों का मुख्य कारण बन रही है। स्थानीय लोग भी मानते हैं कि बिना बारिश हुए भूस्खलन होना पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत है। उधर, राज्य में हाल ही में हुई धराली आपदा की पीड़ा अभी खत्म भी नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने इस आपदा में लापता लोगों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की मंजूरी दी है। लेकिन अब भी 67 लोगों का कोई सुराग नहीं लग पाया है।