
देहरादून | देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक का मामला फिर विवादों में है। आयोग ने इस बार अभूतपूर्व कदम उठाते हुए राज्यभर के सभी 445 परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगाए थे, लेकिन इसके बावजूद प्रश्नपत्र बाहर चला गया। बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि जैमर होने के बावजूद पेपर बाहर कैसे पहुंचा?
विशेषज्ञों ने इसे तकनीकी खामी और 5-जी नेटवर्क की चुनौती बताया है। उनका कहना है कि मौजूदा जैमर केवल 4-जी नेटवर्क को जाम करने में सक्षम थे, जबकि उत्तराखंड के अधिकांश शहरों में अब 5-जी नेटवर्क सक्रिय है। लिहाजा, परीक्षा सुरक्षा की पूरी योजना ध्वस्त हो गई।
आयोग की तैयारियां और तकनीकी चूक
पिछले वर्षों में पेपर लीक प्रकरणों के कारण आलोचना झेल चुके आयोग ने इस बार सुरक्षा को लेकर कोई ढिलाई नहीं बरतने का दावा किया था। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पहले केवल संवेदनशील केंद्रों पर जैमर लगाए जाते थे, लेकिन इस बार सभी 445 केंद्रों पर जैमर लगाना अनिवार्य किया गया।
अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया कि ये सभी जैमर 4-जी नेटवर्क तक को रोकने वाले मॉडल थे। 5-जी की हाई फ्रीक्वेंसी (3300 MHz, 3500 MHz और 24 GHz तक के एमएम वेव) पर ये मशीनें काम नहीं कर पाईं। नतीजा यह हुआ कि 5-जी नेटवर्क के जरिए पेपर बाहर पहुंच गया।
विशेषज्ञों की राय: क्यों नहीं रोक पाए जैमर?
संचार विशेषज्ञों के मुताबिक,
- 4-जी नेटवर्क आमतौर पर 700 MHz, 1800 MHz और 2300 MHz बैंड पर काम करता है।
- 5-जी नेटवर्क इससे कहीं ज्यादा ऊंची फ्रीक्वेंसी पर यानी 3300 MHz, 3500 MHz और उससे ऊपर तक संचालित होता है।
जैमर एक तय फ्रीक्वेंसी रेंज को ही जाम करते हैं। इसलिए अगर उन्हें 4-जी बैंड को जाम करने के लिए डिजाइन किया गया है तो वे 5-जी पर असर नहीं डाल सकते। यही वजह रही कि तकनीक बदल गई, लेकिन आयोग पुराने सिस्टम से काम चलाता रहा।
जिस कमरे से पेपर बाहर आया, वहां जैमर बंद
आयोग के सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने माना कि तकनीकी गड़बड़ी भी सामने आई है।
“हमारे पर्यवेक्षक ने मौखिक शिकायत दी थी कि परीक्षा केंद्र के कक्ष-22 में जैमर नहीं चल रहा था। बाद में सोमवार को मिली रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि कक्ष-9 में भी जैमर काम नहीं कर रहा था। यह तो तय है कि जिस कक्ष से पेपर बाहर आया, वहां जैमर निष्क्रिय था। हमने इस संबंध में ईसीआईएल को पत्र भेज दिया है।”
आयोग का रुख और आगे की कार्रवाई
आयोग के सचिव का कहना है कि इस संबंध में आयोग ने पूर्व में केंद्र सरकार को पत्र भेजा था। कैबिनेट सेक्रेटरी ने ईसीआईएल को 4-जी और 5-जी अपडेटेड जैमर लगाने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन ज्यादातर केंद्रों पर पुराने 4-जी जैमर ही लगाए गए।
कुछेक केंद्रों पर 5-जी जैमर भी लगाए गए थे, लेकिन जहां से पेपर लीक हुआ वहां केवल 4-जी जैमर मौजूद थे और वह भी तकनीकी रूप से काम नहीं कर रहे थे।
आयोग ने साफ कर दिया है कि स्नातक स्तरीय परीक्षा रद्द नहीं की जाएगी। केवल आरोपी छात्र का रिजल्ट रोका जाएगा और पूरे मामले की जांच जारी रहेगी।
बढ़ते सवाल और उम्मीदवारों की चिंता
पेपर लीक के लगातार मामलों ने परीक्षा की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लाखों उम्मीदवारों का भविष्य दांव पर है। परीक्षा केंद्रों पर जैमर जैसी तकनीकी सुरक्षा व्यवस्था पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन नतीजा शून्य रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आयोग समय रहते 5-जी नेटवर्क की चुनौती को गंभीरता से लेता और अपडेटेड जैमर मंगाता तो शायद पेपर लीक जैसी घटना को रोका जा सकता था।