
देहरादून | उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को वर्ष 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई ने नोटिस जारी किया है। उन्हें इसी माह दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है।
2016 का विवादित स्टिंग
मार्च 2016 में, जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में कथित रूप से यह दिखाया गया कि रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की जा रही है। आरोप लगा कि बातचीत में रुपयों के लेन-देन तक की बात सामने आई। इस वीडियो ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया और विपक्ष ने तत्कालीन सरकार पर जमकर हमला बोला। मामला इतना बड़ा हुआ कि जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई।
बार-बार जारी हुए नोटिस
सीबीआई ने इस मामले में पहले भी हरीश रावत को पूछताछ के लिए बुलाने के कई नोटिस जारी किए थे। हालांकि, लंबे समय तक जांच में कोई ठोस प्रगति न होने के कारण यह प्रकरण शांत पड़ गया था। अब करीब नौ साल बाद एक बार फिर सीबीआई ने रावत को पेश होने का नोटिस भेजा है।
रावत का तीखा बयान
नोटिस मिलने के बाद हरीश रावत ने सोशल मीडिया और मीडिया से बातचीत में तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा—
“लंबे समय बाद सीबीआई के दोस्तों को मेरी याद आई है। नोटिस देखकर ऐसा लग रहा है कि विधानसभा चुनाव करीब हैं। भाजपा के दोस्तों के हाथों में सीबीआई ने अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता सौंप दी है। केंद्र सरकार को लगता है कि हरीश रावत अब भी चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। जबकि मैं कह चुका हूं कि अब मेरी भूमिका सीमित है, दूसरे लोगों को आगे आना चाहिए।”
पेशी के लिए मांगा समय
रावत ने बताया कि उन्होंने नोटिस प्राप्त कर लिया है, लेकिन फिलहाल स्वास्थ्य और व्यस्तताओं के चलते सितंबर माह में यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने सीबीआई से अक्टूबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि “मुझे खुशी होगी कि मैं अपने बयान रिकॉर्ड कराने या जिस भी वजह से बुलाया जा रहा है, उसके लिए सीबीआई मुख्यालय उपस्थित रहूं।”
राजनीतिक हलचल
इस नोटिस के बाद प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया, जबकि भाजपा नेताओं का कहना है कि “कानून अपना काम कर रहा है, इसमें राजनीति खोजने की जरूरत नहीं है।”
क्यों है मामला महत्वपूर्ण?
2016 का यह स्टिंग न केवल तत्कालीन सरकार के लिए संकट बना था बल्कि राज्य की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ भी साबित हुआ। इसे लेकर आज तक बहस जारी है कि स्टिंग वास्तविक था या राजनीतिक साजिश का हिस्सा। अब सीबीआई की सक्रियता से एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया है।