
अल्मोड़ा | अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) का क्वारब क्षेत्र एक बार फिर डेंजर जोन साबित हुआ। गुरुवार सुबह यहां तैनात शिक्षिकाएं रोज़ की तरह विद्यालय जाने के लिए पैदल मार्ग से गुजर रही थीं। तभी अचानक पहाड़ी से बड़े-बड़े बोल्डर लुढ़कते हुए नीचे गिरने लगे। इस दौरान एक भारी-भरकम बोल्डर शिक्षिका हेमा टम्टा के बिलकुल पास से गुज़रते हुए सीधे नदी में गिरा। संयोग अच्छा रहा कि वे इसकी चपेट में नहीं आईं, वरना एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।
पैदल गुज़रने को मजबूर लोग
भूस्खलन की वजह से अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर कई दिनों से यातायात ठप है। वाहन अब रानीखेत और शहरफाटक के वैकल्पिक मार्ग से होकर गुजर रहे हैं। लेकिन स्थानीय लोगों और यहां कार्यरत कर्मचारियों के पास रोज़ाना की आवाजाही के लिए कोई विकल्प नहीं है। मजबूरी में वे जान हथेली पर रखकर डेंजर जोन पार करते हैं।
शिक्षिकाओं का रोज़ का सफर
तल्ला क्वारब प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका हेमा टम्टा और गरिमा जोशी समेत अन्य अध्यापिकाएं रोज़ सुबह पैदल ही क्वारब से विद्यालय पहुंचती हैं। गुरुवार को भी वे अपने गंतव्य के लिए निकलीं, लेकिन अचानक पहाड़ी से पत्थर और बोल्डर गिरने लगे। उस दौरान हेमा टम्टा का दिल दहल गया, क्योंकि एक बोल्डर उनके बिल्कुल करीब से गुजर गया। आसपास मौजूद लोगों के लिए भी यह दृश्य किसी भयावह हादसे से कम नहीं था।
प्रशासन की मुश्किल
क्वारब डेंजर जोन में पुलिस तैनात की गई है, ताकि लोग अनावश्यक रूप से यहां से न गुजरें। मगर चेतावनी और समझाने के बावजूद कई लोग जोखिम उठाकर पैदल रास्ता पार कर रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि क्षेत्र में लगातार भूस्खलन हो रहा है और बोल्डर किसी भी वक्त गिर सकते हैं, जिससे बड़ा हादसा हो सकता है।
ग्रामीणों की बेबसी
क्वारब क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि यह मार्ग बंद होने से उनकी दिनचर्या पूरी तरह बाधित हो गई है। बाज़ार आना-जाना, स्कूल जाना, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचना – सब कुछ प्रभावित है। “अगर हम यह रास्ता पार न करें तो बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाएंगे और रोज़मर्रा का सामान भी नहीं ला पाएंगे,” एक स्थानीय निवासी ने कहा।
बड़ा हादसा कभी भी संभव
क्वारब को पहले से ही “डेथ ज़ोन” के तौर पर जाना जाता है। बरसात के दिनों में यहां कई बार बड़े हादसे हो चुके हैं। अभी भी लगातार पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिर रहे हैं। ऐसे में स्थानीय लोग और प्रशासन दोनों आशंकित हैं कि यदि जल्द ही इस मार्ग को सुरक्षित नहीं बनाया गया तो कभी भी बड़ी त्रासदी हो सकती है।