
देहरादून। उत्तराखंड में मानसून का कहर अभी थमा नहीं है। मौसम विभाग ने साफ कर दिया है कि राज्य में बारिश का सिलसिला केवल पांच दिन ही नहीं बल्कि आगामी 15 दिनों तक जारी रह सकता है। लगातार हो रही वर्षा से कई जिलों में जनजीवन प्रभावित है और आपदा की आशंका बनी हुई है। ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को आपदा प्रबंधन को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई।
बैठक में सभी जिलाधिकारियों, विभागीय अधिकारियों और राहत-बचाव से जुड़े तंत्रों को निर्देश दिए गए कि वे पूरी सतर्कता और तत्परता से काम करें। सीएम ने साफ कहा कि “अगले कुछ दिनों में और ज्यादा सावधानी बरतनी जरूरी है। आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी विभाग चौबीसों घंटे एक्टिव मोड पर रहें और संवेदनशील इलाकों में जन-जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।”
सड़कों और सुविधाओं की बहाली पर जोर
सीएम धामी ने खासतौर पर सड़कों और अन्य सुविधाओं की जल्द से जल्द मरम्मत व बहाली पर जोर दिया। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिया कि टेंडर संबंधी सभी औपचारिकताएं जल्द पूरी की जाएं और अवरुद्ध मार्गों को खोलने में कोई लापरवाही न हो।
उत्तरकाशी के स्यानाचट्टी क्षेत्र में जमा मलबे को हटाकर सुरक्षित स्थान पर डंप करने के आदेश भी दिए गए ताकि दोबारा बारिश होने पर नदियों में अवरोध न बने और बाढ़ का खतरा न बढ़े। सीएम ने कहा कि जैसे ही बारिश का दबाव कम होगा, चारधाम यात्रियों की संख्या बढ़ेगी और साथ ही त्योहारी सीजन भी शुरू होगा। ऐसे में यात्रियों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए सड़कें व अन्य व्यवस्थाएं समय रहते दुरुस्त की जानी चाहिए।
बिजली-पानी और पशुधन की सुरक्षा पर निर्देश
मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के प्रशासन को बिजली और पानी की आपूर्ति को तुरंत बहाल करने के निर्देश दिए। साथ ही घायल पशुओं की सुरक्षा और उनके इलाज के लिए भी विशेष इंतजाम करने को कहा। उन्होंने पशुपालन विभाग को आदेश दिए कि डॉक्टरों की टीमें गांव-गांव भेजी जाएं ताकि आपदा के दौरान किसी भी तरह की पशुहानि को रोका जा सके।
नदियों और बांधों पर चौकसी
बैठक में नदियों और नालों के किनारे रहने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर भी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जलस्तर बढ़ने पर तुरंत अलर्ट जारी कर प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। साथ ही सिंचाई विभाग को आदेश दिया गया कि बांधों पर हर समय चौकसी रखी जाए और जरूरत पड़ने पर समय से पानी छोड़े जाने की सूचना जिला प्रशासन को दी जाए, ताकि जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
जीएसआई की अर्ली वार्निंग योजना
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार लगातार नए कदम उठा रही है। भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (GSI) राज्य के संवेदनशील चार जिलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने की योजना बना रहा है। इससे भूस्खलन और भारी वर्षा के खतरे की जानकारी समय रहते मिलेगी और प्रशासन को राहत-बचाव कार्य में तेजी लाने में मदद मिलेगी।




