
नैनीताल। नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुए बवाल को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मंगलवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. नरेंदर और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर रहने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान जिस तरह से गन कल्चर और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हुआ, उससे न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हुई बल्कि आम लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा हुआ। अदालत ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि सार्वजनिक शांति भंग करने वाले ऐसे घटनाक्रम किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसएसपी से सवाल किया कि क्या एसपी इंटेलिजेंस ने पहले से कोई इनपुट दिया था। इस पर एसएसपी ने स्पष्ट किया कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई थी। उन्होंने बताया कि चुनाव स्थल के पास खड़ी एक लाल कार को कब्जे में लिया गया है, जिसमें तलवारें बरामद हुईं। कार मालिक फरार है। मामले में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है, जिनमें से कुछ रामपुर, रुद्रपुर और नैनीताल से जुड़े बताए गए हैं। अब तक 14 लोगों की पहचान हुई है और एक आरोपी की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
एसएसपी ने कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, होटल्स की चेकिंग हो रही है और सभी संदिग्धों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) लिए जा रहे हैं। यह जांच भी की जा रही है कि बाहरी लोग जिले में कैसे पहुंचे और क्या उनका पहले से किसी आपराधिक गतिविधि से संबंध रहा है।
अदालत ने इस पूरे घटनाक्रम पर डीएम और एसएसपी द्वारा दाखिल एफिडेविट को रिकॉर्ड में शामिल कर लिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि गोलीबारी और हथियारबंद उपद्रव जैसी घटनाएं समाज को अस्थिर करती हैं और चुनाव की शुचिता को ठेस पहुंचाती हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने साफ कहा कि इस तरह की घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिलहाल कोर्ट ने चुनाव परिणाम या काउंटिंग प्रक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन गृह सचिव और डीजीपी को तलब कर मामले पर विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया।