
देहरादून | उत्तरकाशी ज़िले के धराली आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत और बचाव कार्य के दूसरे चरण में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) ने शव खोजी अभियान तेज कर दिया है। रविवार को कैडेवर डॉग्स (शव खोजी कुत्ते) ने आठ अलग-अलग स्थानों पर सूंघकर संकेत दिए, जिसके बाद मलबे में खुदाई शुरू की गई। हालांकि, खुदाई के दौरान कई स्थानों पर मलबे के नीचे से पानी निकल आने के कारण कार्य को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। अब इन स्थलों पर ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक की मदद से गहन स्कैनिंग की जा रही है।
कैसे मिल रहे हैं संकेत
एनडीआरएफ की टीम ने राहत कार्य के इस चरण में दो विशेष प्रशिक्षित कैडेवर डॉग्स को तैनात किया है। ये कुत्ते मलबे में दबे शवों की गंध को पहचानकर संकेत देते हैं। रविवार को जब कुत्तों ने आठ स्थानों पर लगातार संकेत दिए, तो टीम ने वहां तत्काल खोदाई शुरू की। पहले ही वार में पानी निकलने लगा, जिससे मलबा हटाने का काम बाधित हुआ। स्थानीय निवासियों से मिली जानकारी के आधार पर, टीम ने उस स्थान पर भी खुदाई की जहां वीडियो फुटेज में आपदा के समय लोग भागते हुए दिखाई दिए थे। लेकिन यहां भी पानी भरने की वजह से गहराई तक खोदाई संभव नहीं हो सकी।
जीपीआर स्कैनिंग से होगा सटीक पता
एनडीआरएफ के डीआईजी गंभीर सिंह चौहान ने बताया कि अब इन सभी स्थानों पर जीपीआर (Ground Penetrating Radar) से स्कैनिंग की जा रही है। यह उपकरण धरती की सतह के नीचे की संरचना को तरंगों के माध्यम से पहचानता है।
“यदि स्कैनिंग के दौरान किसी ढांचे, भवन या बड़े मलबे के संकेत मिलते हैं, तो खोदाई ठीक उसी स्थान पर की जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि संसाधनों का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा।” – गंभीर सिंह चौहान, डीआईजी, एनडीआरएफ
खोज कार्य की रणनीति
- प्रभावित इलाके को कई सेक्टरों में बांटकर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
- बड़े मशीनरी उपकरणों को इलाके तक लाने में दिक्कत हो रही है, इसलिए अधिकतर खुदाई मैन्युअली (हाथ से) की जा रही है।
- पहले चरण में जीवित बचे लोगों को सुरक्षित निकालने पर पूरा ध्यान था, अब फोकस लापता व्यक्तियों के शव खोजने पर है।
धराली आपदा की पृष्ठभूमि
धराली में आई इस भीषण आपदा ने पूरे क्षेत्र को तबाह कर दिया। तेज़ बारिश, पहाड़ी ढलानों से आया मलबा और बाढ़ जैसी स्थिति ने कई मकानों और संरचनाओं को पूरी तरह नष्ट कर दिया। पहले चरण में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवकों ने मिलकर फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला। लेकिन आपदा के पैमाने को देखते हुए कई लोग अब भी लापता हैं।
आगे की राह
अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे जीपीआर स्कैनिंग के परिणाम आएंगे, वैसी ही खुदाई और खोज अभियान की रणनीति तय की जाएगी। मलबे में दबे ढांचों और शवों का पता लगने के बाद उन्हें बाहर निकालने में भी कई तरह की तकनीकी और प्राकृतिक बाधाएं सामने आ सकती हैं, जिनसे निपटने के लिए विशेष तैयारी की जा रही है।