
जबलपुर | मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी चयन के नाम पर फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज़ों के गोरखधंधे ने प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को बेहद गंभीर मानते हुए सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिससे इस गड़बड़ी की तह तक पहुंचा जा सके।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि प्रदेश के कुछ नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी की नियुक्ति फर्जी मार्कशीट के आधार पर की गई है। याचिका में यह दावा किया गया कि जिन अभ्यर्थियों को फैकल्टी के रूप में नियुक्त किया गया है, उनकी मार्कशीट एमपी नर्सिंग काउंसलिंग पोर्टल से डाउनलोड की गई, लेकिन वही दस्तावेज़ सीबीआई द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते।
इस विरोधाभास को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने एमपी ऑनलाइन को आदेश दिया कि वह नर्सिंग काउंसलिंग से संबंधित समस्त डाटा को तत्काल प्रभाव से सीज करे, ताकि उसमें कोई छेड़छाड़ न की जा सके। यह आदेश जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस डी.के. पालीवाल की युगलपीठ द्वारा पारित किया गया।
कोर्ट ने स्वयं पोर्टल की जांच की, मिली पुष्टि
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खुद नर्सिंग काउंसलिंग पोर्टल पर जाकर याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत की गई मार्कशीट की जांच की और पाया कि वह दस्तावेज़ वास्तव में पोर्टल पर उपलब्ध है। इससे यह शंका और गहरा गई कि कहीं डाटा में गड़बड़ी तो नहीं की गई है या किसी प्रकार का सिस्टमेटिक फर्जीवाड़ा तो संचालित नहीं हो रहा।
हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिए कि सीबीआई अपनी जांच रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करे। साथ ही, प्रदेश में संचालित पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया पर पूर्व में लगी रोक को यथावत बनाए रखा गया है। अदालत ने यह भी कहा कि सभी संबंधित आवेदन और निरीक्षण रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं।
एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि सेंधवा स्थित एक नर्सिंग कॉलेज, जिसकी फैकल्टी पर फर्जीवाड़े का आरोप है, उसे दो बार निरीक्षण के बाद भी ‘सूटेबल’ घोषित किया गया। इसके बावजूद, उसी कॉलेज की फैकल्टी की मार्कशीट को सीबीआई ने फर्जी करार दिया, जिससे पूरे मान्यता प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठे हैं।
28 जुलाई को होगी अगली सुनवाई, कोर्ट ने दी चेतावनी
हाईकोर्ट ने याचिका को संज्ञान याचिका के रूप में स्वीकार किया है और मामले की अगली सुनवाई सोमवार, 28 जुलाई 2025 को निर्धारित की है। कोर्ट ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर डाटा में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या फर्जीवाड़ा पाया गया, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इस याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पक्ष रखा। इस पूरे मामले को अब न सिर्फ शैक्षिक मानकों बल्कि न्यायिक और प्रशासनिक पारदर्शिता की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है।