
देहरादून| प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों को लेकर शिक्षा विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए नई तबादला नियमावली तैयार कर ली है, जिसे शीघ्र ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इस नियमावली का सबसे अहम प्रावधान यह है कि यदि किसी शिक्षक के स्कूल का बोर्ड परीक्षाफल (10वीं या 12वीं) दो वर्षों तक लगातार खराब रहता है, तो ऐसे शिक्षक को अनिवार्य रूप से पर्वतीय क्षेत्र में तैनात किया जाएगा।
शिक्षकों के लिए नई तबादला नीति के प्रमुख बिंदु:
प्रदेश में वर्ष 2017 से सभी विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक समान तबादला एक्ट लागू है, लेकिन अब शिक्षा विभाग शिक्षकों के लिए विशेष तबादला नियमावली लेकर आया है। इस नियमावली में राज्य को पर्वतीय और मैदानी दो क्षेत्रों में बाँटा गया है। अब तबादले ‘सुगम-दुर्गम’ के बजाय ‘पर्वतीय-मैदानी’ आधार पर किए जाएंगे। शिक्षकों के तबादलों में उनके द्वारा इन क्षेत्रों में की गई सेवा के आधार पर अंक तय किए जाएंगे और उन्हीं अंकों के हिसाब से तबादला सूची बनाई जाएगी। यदि किसी शिक्षक के खाते में कम से कम 16 अंक हैं तो वे मैदानी से पर्वतीय या पर्वतीय से मैदानी क्षेत्र में अनिवार्य तबादले के लिए पात्र माने जाएंगे।
ऑनलाइन तबादले की प्रक्रिया:
तबादले की पूरी प्रक्रिया डिजिटल रूप से की जाएगी। इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है, जिसमें शिक्षक अपनी वरीयता और दस्तावेज अपलोड करेंगे। तबादला सूची भी इसी ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से तैयार और जारी की जाएगी।
उच्च पर्वतीय और निम्न पर्वतीय जिलों की नई परिभाषा:
राज्य के चार जिले — पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली और बागेश्वर — उच्च पर्वतीय जिलों के रूप में चिह्नित किए गए हैं। वहीं टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल, पौड़ी और देहरादून के पर्वतीय क्षेत्र निम्न पर्वतीय माने जाएंगे। जिन क्षेत्रों को मैदानी श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी पर्वतीय क्षेत्र माना जाएगा।
सेवा अवधि का निर्धारण:
- पर्वतीय क्षेत्र में अधिकतम 5 वर्ष की सेवा अनिवार्य की गई है।
- मैदानी क्षेत्र में भी अधिकतम 5 वर्ष की सेवा तय की गई है।
- पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों की सेवा को अलग-अलग उपक्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनके आधार पर अंक मिलेंगे।
विशेष प्रावधान:
- एक शिक्षक को अपने सेवाकाल में एक बार संवर्ग परिवर्तन की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि उसने उस संवर्ग में कम से कम 3 साल की सेवा की हो।
- अविवाहित महिला शिक्षक को विवाह के बाद पति के गृह जिले या कार्यस्थल पर तबादले की सुविधा एक बार दी जाएगी।
- एससीईआरटी, सीमैट, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के शिक्षकों के लिए जब तक अलग कैडर नहीं बनता, वे भी इसी नियमावली के तहत तबादले में सम्मिलित होंगे।
समय-सीमा:
तबादला प्रक्रिया 1 जनवरी से शुरू होगी और 31 मार्च तक पूर्ण करनी होगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि तबादला शिक्षक का अधिकार नहीं है। यदि किसी प्रावधान के अनुपालन में व्यवहारिक कठिनाई आती है, तो उस पर विभाग या सरकार अंतिम निर्णय लेगी।